newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Rajnath Singh At CII Annual Business Summit-2025 : मेरा ही भाई है, मुझसे दूर कहां जायेगा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पीओके का जिक्र कर कह दी बड़ी बात

Rajnath Singh At CII Annual Business Summit-2025 : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन-2025 को संबोधित करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था, डिफेंस सेक्टर, टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बात की। इस दौरान उन्होंने एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प की प्रतिबद्धता जताई।

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने CII वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन-2025 को संबोधित करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था, डिफेंस सेक्टर, टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बात की। इस दौरान उन्होंने एक भारत-श्रेष्ठ भारत को लेकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का भी जिक्र किया। उन्होंने पीओके के लोगों को हमारे अपने परिवार का हिस्सा बताया। राजनाथ बोले, पीओके में रहने वाले हमारे इन भाइयों की स्थिति कुछ ऐसे ही है, जैसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह की थी। छोटे भाई शक्ति सिंह के अलग हो जाने पर भी बड़े भाई महाराणा प्रताप का विश्वास अपने छोटे भाई के प्रति बना रहता है और वो बड़े विश्वास से कहते हैं- ‘तब कुपंथ को छोड़ सुपथ पर स्वयं चला आएगा। मेरा ही भाई है, मुझसे दूर कहाँ जायेगा’।

रक्षामंत्री ने कहा कि मैं मानता हूँ कि पाक अधिकृत कश्मीर के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं। हम ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के लिए प्रतिबद्ध है और हमें यह पूर्ण विश्वास है कि हमारे वो भाई जो आज हमसे भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग हैं, वो भी अपने स्वाभिमान, आत्मा की आवाज और स्वेच्छा से भारत की मुख्य धारा में कभी न कभी जरुर वापस लौटेंगे। वहां के अधिकांश लोग भारत के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं। सिर्फ कुछ गिने चुने लोग ही हैं, जिन्हें भटकाया गया है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में, पूरे देश की जनता ने मेक इन इंडिया अभियान की सफलता को देखा, समझा और महसूस किया है। आज यह साबित हो चुका है कि मेक इन इंडिया भारत की सुरक्षा और समृद्धि दोनों के लिए ज़रूरी है। आज पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल दिखाई दे रहा है। जगह-जगह संघर्ष चल रहे हैं। वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आज की अंतर्राष्ट्रीय अनिश्चितता का मूल कारण विश्वास में कमी है। इसके विपरीत, अगर हम अपने देश को देखें, तो हमारी कोशिश रही है कि देश के भीतर विभिन्न क्षेत्रों, समुदायों और आर्थिक क्षेत्रों के बीच विश्वास का एक मजबूत माहौल बने। इन प्रयासों से हमने अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की है।