नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में सुषमा स्वराज का स्थान काफी खास और अहम रहा है। भले ही आज वो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके किए गए कार्यों के लिए वो आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं। एक राजनेता के दौर पर उन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है साथ ही अपने कार्यकाल के दौरान दिए गए भाषणों से वो देश-दुनिया में भी लोकप्रिय थी। सुषमा स्वराज का बेबाक अंदाज ऐसा था कि जब भी वो किसी मुद्दे पर बोलना शुरु करती थी तो विपक्ष भी उन्हें बढ़े ध्यान से सुनने को मजबूर हो जाता था। संस्कृत और राजनीति विज्ञान से स्नातक करने वाली पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भारत की सुपर मॉम नाम का टैग भी दिया गया है। ये टैग उन्हें वाशिंगटन पोस्ट ने अपने लेख में दिया था। इतना ही नहीं अपने 5 साल के कार्यकाल में 90 हजार से ज्यादा भारतीयों की मदद करने के लिए भी उन्हें जाना जाता है।
क्यों मिला सुपर मॉम का टैग
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को सुपर मॉम का टैग कई कारणों से मिला। सुषमा स्वराज एक ऐसी राजनेता थीं जिन्होंने अपने काम से देश-दुनिया में अनोखी पहचान बनाई। बात जब लोगों की मदद की हो तो वो सबसे आगे रहती थीं। अपने काम करने के अनोखे तरीके से वो हमेशा चर्चा में रहती थी। खासकर जब विदेशों में भारतीय किसी परेशानी में फंसते थे तो उनकी परेशानी को दूर करने और वतन वापसी करने में सुषमा स्वराज ने काफी मदद की। अपने पांच साल (2014 से 2019 तक) के कार्यकाल तक सुषमा स्वराज ने 186 देशों में फंसे 90 हजार से ज्यादा भारतीयों की मदद की। एक बार खुद स्वराज ने कहा था कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंस जाएं तो भी हमारा भारतीय दूतावास आपकी मदद के लिए पहुंच जाएगा। लोग भी स्वराज के इस जज्बे और अंदाज के लिए उनकी सोशल मीडिया पर तारीफ करने से नहीं रूकते थे। यही वो कारण थे कि वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें सुपर मॉम का नाम दिया था।
सुषमा स्वराज को मिले ये पुरस्कार
सुषमा स्वराज को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मा भूषण, 1980 में पद्मश्री, 1996 में बंधन रत्न पुरस्कार, 2004 में जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें भारतीय संसद में उच्चतम सम्मान के रूप में मुख्य वक्ता के रूप में पहचाना गया था।
हालांकि 6 अगस्त, 2019 ये वो दिन था जब देश ने अपनी सुपरमॉम सुषमा स्वराज को खो दिया। अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें दिल्ली के आल एमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हुआ था। 67 वर्ष की उम्र में सुषमा स्वराज का निधन देश के लिए क्षति थी। आज भी उन्हें योगदानी, कुशल नेता के तौर पर लोग याद करते हैं।