मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में इस समय घमासान मचा हुआ है। निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे गुट से शिवसेना का नाम और निशान दोनों छिन गए हैं। इस पर अब हिमंता बिस्वा सरमा ने एक नई थियरी दी है। असम के मुख्यमंत्री का कहना है कि उद्धव के साथ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वह भगवान पर राजनीति कर रहे थे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र और असम के बीच एक धार्मिक स्थल को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। यह मामला है, छठवें ज्योर्तिलिंग भीमाशंकर को लेकर, जो कि 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है। असम सरकार द्वारा जारी एक विज्ञापन में ज्योर्तिलिंग भीमाशंकर को असम में बताया गया है। वहीं, महाराष्ट्र में विपक्ष ने भाजपा सरकार पर महाराष्ट्र के तीर्थस्थलों की चोरी का आरोप जड़ दिया है।
आपको बता दें कि बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति के नए ब्रांड अम्बे के मुख्यमंत्री ने अपने ताजा बयान में इसी का हवाला दिया है। भगवान के शिव के नाम पर राजनीति न हो हिमंता सरमा ने कहा कि भगवान शंकर हिमालय में रहते हैं। उन्हें एक निश्चित स्थान से नीचे लेकर आना ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में विपक्ष को भगवान शिव के नाम पर राजनीति बंद कर देनी चाहिए। यही वजह है कि उद्धव गुट ने शिवसेना का नाम और निशान दोनों खो दिया। गौरतलब है कि हाल ही में चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और इसका चुनाव निशान, धनुष-बाण शिंदे गुट को दे दिया था। उद्धव ठाकरे का कहना है कि यह पार्टी उनके पिता बालासाहेब ठाकरे की बनाई हुई है, इसलिए इस पर उनका अधिकार है। वहीं, चुनाव आयोग ने इस मामले में दोनों गुटों के पास मौजूद सांसदों और विधायकों को मिले वोटों की गिनती के आधार पर यह फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि प्राचीन हिंदू मान्यताओं के अनुसार कुल 12 ज्योर्तिलिंग हैं। इन्हें महाज्योर्तिलिंग कहा जाता है। असम सरकार द्वारा ज्योर्तिलिंग विज्ञापन मामले में उद्धव ठाकरे ने कोई टिप्पणी नहीं की थी। वहीं, उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने भी इसे गैरजरूरी विवाद बताया था। हालांकि उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की चुप्पी पर सवाल जरूर उठाए थे