आगरा। ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां का उर्स मनाए जाने के खिलाफ अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मोर्चा खोल दिया है। हिंदू महासभा के सदस्यों ने ताजमहल के पास महताब बाग में शिव चालीसा का पाठ कर शाहजहां के उर्स का विरोध किया। हिंदू महासभा ने शाहजहां का उर्स मनाए जाने के खिलाफ आगरा के कोर्ट में अर्जी भी दे रखी है। इस अर्जी पर 4 मार्च को सुनवाई होनी है। आगरा के ताजमहल में मंगलवार से मुगल बादशाह शाहजहां का 369 उर्स शुरू हुआ है। उर्स कल यानी बुधवार तक मनाया जाएगा। इस दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। उर्स के कारण ताजमहल में फ्री एंट्री दी जा रही है।
हिंदू महासभा ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि बिना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई की मंजूरी के ताजमहल में उर्स मनाया जाता है। इस उर्स को मनाने वाली कमेटी के अध्यक्ष के बारे में अर्जी में हिंदू महासभा ने कहा है कि उनका ताजमहल से कोई जुड़ाव नहीं है। बिना इजाजत कार्यक्रम कराने का आरोप भी हिंदू महासभा ने लगाया है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की 1631 में मौत के बाद आगरा में यमुना नदी के किनारे बनवाया था। 14वें बच्चे को जन्म देते वक्त बुरहानपुर में मुमताज महल की मौत हुई थी। इसके बाद शाहजहां की जब 1666 में मौत हुई, तो लाश को ताजमहल लाकर मुमताज की कब्र के बगल में दफनाया गया। ताजमहल के तहखाने में मुमताज महल और शाहजहां की असली कब्रें हैं। इस तहखाने को हर साल शाहजहां के उर्स के मौके पर ही खोला जाता है। जबकि, ऊपर के तल पर नकली कब्रों को सैलानी देख पाते हैं।
ताजमहल को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है। तमाम हिंदू संगठनों का दावा है कि यहां प्राचीन तेजोमहालय शिव मंदिर हुआ करता था। जिसे लेकर ताजमहल का स्वरूप दे दिया गया। जयपुर राजघराने की राजकुमारी और राजस्थान सरकार में अब डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने भी बयान दिया था कि उनके परिवार से ही जगह लेकर शाहजहां ने आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया है। अब मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के खिलाफ कोर्ट में याचिका आने के बाद ताजमहल नए विवाद के केंद्र में आ गया है। अब सबकी नजर इस पर है कि हिंदू महासभा की अर्जी पर कोर्ट से क्या फैसला आता है।