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Resolution On Ram Temple: राम मंदिर पर संसद में आज मोदी सरकार ला रही धन्यवाद प्रस्ताव, पीएम शाम को करेंगे संबोधित; इस वजह से ये है देश के लिए ऐतिहासिक घटना

Resolution On Ram Temple: सोमनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तो पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद उसमें शामिल हुए थे। तब भी आक्रांताओं के हाथ गिराए गए मंदिर के फिर से बनने को लेकर संसद में कोई प्रस्ताव नहीं आया था। ऐसे में राम मंदिर निर्माण पर संसद में लाया जा रहा प्रस्ताव ऐतिहासिक है।

नई दिल्ली। संसद में आज मोदी सरकार राम मंदिर बनने पर धन्यवाद प्रस्ताव पास कराने जा रही है। देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जब किसी मंदिर के बनने पर संसद में धन्यवाद प्रस्ताव आ रहा है। देश की आजादी के बाद सोमनाथ का मंदिर फिर से बनवाया गया था। सोमनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, तो पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद उसमें शामिल हुए थे। तब भी आक्रांताओं के हाथ गिराए गए मंदिर के फिर से बनने को लेकर संसद में कोई प्रस्ताव नहीं आया था। ऐसे में राम मंदिर निर्माण पर संसद में लाया जा रहा प्रस्ताव ऐतिहासिक है। आज संसद के कामकाज का अंतिम दिन भी है। पीएम नरेंद्र मोदी शाम 5 बजे लोकसभा में अपने दूसरे कार्यकाल का अंतिम संबोधन भी करने वाले हैं। बीजेपी ने लोकसभा और राज्यसभा में अपनी सभी सांसदों के लिए मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है।

इस साल 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 22 जनवरी को हुआ था। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी। देश के किसी भी मंदिर में पहली बार भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले मोदी पहले पीएम हैं। मोदी ने इससे पहले राम मंदिर का शिलान्यास भी किया था। मोदी के हाथ राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर सियासत भी खूब हुई। विपक्ष ने इसे बीजेपी का चुनावी एजेंडा बनाते हुए राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से दूरी बना ली थी। अब संसद में राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव आ रहा है, तो इसे लेकर भी सियासत के गरमाने के आसार हैं। खासकर इस वजह से, क्योंकि आने वाले कुछ वक्त में लोकसभा के चुनाव भी होने हैं।

राम मंदिर के लिए हिंदू समुदाय ने लंबी जंग लड़ी। मुगल शासकों के दौर में राम मंदिर वापस हासिल करने के लिए वैरागियों समेत तमाम लोगों ने तलवार उठाई, तो अंग्रेजों के दौर से तमाम अदालतों में कानूनी लड़ाई भी होती रही। आखिरकार 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई सर्वे और अन्य तमाम सबूतों के आधार पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले के खिलाफ आज भी मुस्लिम नेता हालांकि बयानबाजी करते रहते हैं।