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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में कैसे होती है करोडों की संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं की गिनती, हाईटेक सिस्टम से लैस हजारों उपकरणों की होती है नजर..

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के आयोजन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि करोड़ों श्रद्धालुओं की सटीक संख्या का आकलन कैसे होता है। योगी सरकार ने इस बार पहली बार श्रद्धालुओं की गिनती के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया है।

नई दिल्ली। संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से हो गया है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। पहले दो दिन यानी पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के अवसर पर 3 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम स्नान करने का अनुमान है। संगम क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर दिनभर स्नान और पूजा का दौर जारी रहेगा।13 जनवरी से शुरू होकर यह पवित्र आयोजन 26 फरवरी तक चलेगा। इसमें 6 प्रमुख स्नान पर्व होंगे। अनुमान है कि इस महाकुंभ में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक इंतजाम किए हैं।

श्रद्धालुओं की सटीक गिनती का विशेष प्रबंध

महाकुंभ के आयोजन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि करोड़ों श्रद्धालुओं की सटीक संख्या का आकलन कैसे होता है। योगी सरकार ने इस बार पहली बार श्रद्धालुओं की गिनती के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया है।

  • एआई तकनीक से लैस कैमरे:
    श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आंकड़ा जुटाने के लिए मेले में एआई आधारित कैमरे लगाए गए हैं। यह पहली बार है कि महाकुंभ में तकनीक का इतने व्यापक स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है।
  • सीसीटीवी निगरानी:
    मेला क्षेत्र में 744 सीसीटीवी कैमरे और शहर के भीतर 268 अस्थायी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर भी 700 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं।
  • डेटा की लाइव अपडेट:
    इन एआई कैमरों द्वारा हर मिनट डेटा अपडेट किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं की सटीक संख्या का अंदाजा लगाया जा सके। यह सिस्टम सुबह 2 बजे से शाम 7 बजे तक पूरी तरह सक्रिय रहेगा।

श्रद्धालुओं की गिनती के अन्य उपाय

  • नावों और ट्रेनों से आने वाले श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड।
  • साधु-संतों और उनके कैंप में जाने वालों की संख्या।
  • सड़कों और मेले के मुख्य प्रवेश स्थलों से गुजरने वाली भीड़ की गिनती।

निगरानी के विशेष सेंटर

श्रद्धालुओं पर नजर रखने के लिए झूसी और अरैल क्षेत्र में ऑब्जर्वेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। पुलिस लाइन में एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र (ICCC) से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जा रही है।

तकनीक से आस्था तक का संगम

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में सटीक आंकड़े जुटाना कभी आसान नहीं रहा है। लेकिन एआई और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से इसे संभव बनाया जा रहा है। संगमनगरी प्रयागराज में आस्था और विज्ञान का यह संगम अद्वितीय उदाहरण पेश कर रहा है।