Farm Fact: MSP कानून बन जाने के बाद किसानों को कितना फायदा और कितना नुकसान होगा? पढ़िए इस रिपोर्ट में…
नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ रमेश चंद ने एक प्रपत्र में इसे लेकर आशंका जताई है। रमेश चंद ने कहा है कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए खुले हुए बाजार ज्यादा मुफीद हैं। उन्होंने कहा है कि सरकारी मदद और बाजार में सरकार की ओर से उपाय किए जाने पर लंबे समय में किसानों को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
नई दिल्ली। कृषि कानूनों की वापसी के एलान के बाद आंदोलनकारी किसान और राकेश टिकैत जैसे उनके नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर कानून बनाने की मांग करते हुए अड़े हैं, लेकिन क्या एमएसपी कानून बनने से किसानों को फायदा होगा ? इस सवाल का जवाब अभी न ही दिख रहा है। कानून बनने से किसानों के लिए अपनी उपज को बेचने के रास्ते कम हो जाएंगे। इससे देश के खजाने पर भी बड़ा बोझ पड़ेगा। शायद यही वजह है कि सरकार इस मामले में तेजी नहीं दिखा पा रही है। बता दें कि किसान मांग कर रहे हैं कि 23 फसलों को एमएसपी के दायरे में लाया जाए और हर साल एमएसपी देने के लिए सरकार कानून बनाए। वहीं, नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ रमेश चंद ने एक प्रपत्र में इसे लेकर आशंका जताई है। रमेश चंद ने कहा है कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए खुले हुए बाजार ज्यादा मुफीद हैं। उन्होंने कहा है कि सरकारी मदद और बाजार में सरकार की ओर से उपाय किए जाने पर लंबे समय में किसानों को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
रमेश चंद ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया है। महाराष्ट्र में साल 2018 में सरकार ने एमएसपी की गारंटी दी थी। नतीजे में किसानों की फसल की उठान कम हुई थी। दरअसल, सरकारी मंडियों में स्तरहीन फसल को नहीं लिया जाता। ऐसी फसलों पर एमएसपी से कम कीमत भी दी जाती है। इसी वजह से बाद में महाराष्ट्र सरकार ने अपने इस कदम को वापस खींच लिया था। बता दें कि मोटे अनाज और दलहन पर ही एमएसपी दी जाती है। जबकि, किसानों की मांग है कि हर अनाज और उपज पर एमएसपी दी जाए।
रमेश चंद ने सुझाव दिया है कि एमएसपी पर केंद्र सरकार के कदम उठाने की जगह राज्यों को कदम उठाना चाहिए। उन्होंने अपने प्रपत्र में केरल का उदाहरण दिया है। केरल सरकार ने बीते साल 16 फल और सब्जियों पर एमएसपी देने का एलान किया था। चंद का ये भी कहना है कि एमएसपी की वजह से चीजों की कीमत में इजाफा होगा। इससे महंगाई भी आएगी। साथ ही अनाज का निर्यात करने में भी मुश्किल होगी।