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DIG Vaibhav Krishna On Mahakumbh Accident : महाकुंभ में कैसे हुआ हादसा, कितने लोगों की गई जान, डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया

DIG Vaibhav Krishna On Mahakumbh Accident : डीआईजी के मुताबिक अखाड़ा मार्ग पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। जिसके कारण दूसरी तरफ लगे बैरिकेड टूट गए और भीड़ ने बैरिकेड्स के उस तरफ ब्रह्म मुहूर्त पर संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचल दिया। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि भीड़ में इंतजार कर रहे श्रद्धालु बैरिकेड्स के दूसरी तरफ जमीन पर लेटे लोगों को देख नहीं सके।

नई दिल्ली। महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर हुए हादसे के संबंध में मेला अधिकारी और कुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने पूरी जानकारी दी। उन्होंने हादसे की वजह बताई और इसमें जान गंवाने वाले तथा घायलों का आंकड़ा भी जारी किया। डीआईजी वैभव कृष्ण के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त से पहले रात 1 से 2 बजे के बीच अखाड़ा मार्ग पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी। अखाड़ा क्षेत्र और अन्य स्थानों पर बैरिकेड्स लगे हुए हैं। अत्यधिक भीड़ के कारण दूसरी तरफ लगे बैरिकेड टूट गए और भीड़ ने बैरिकेड्स के दूसरी तरफ ब्रह्म मुहूर्त पर संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचल दिया। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई क्योंकि भीड़ में इंतजार कर रहे श्रद्धालु जमीन पर लेटे लोगों को देख नहीं सके, जिससे यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।

वैभव कृष्ण ने बताया कि प्रशासन ने तत्काल राहत-बचाव कार्य शुरू करते हुए ग्रीन कॉरिडोर बनाया और करीब 90 लोगों को अलग-अलग कई एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन दुर्भाग्य से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इन 30 में से 25 मृतकों की पहचान हो चुकी है और बाकी 5 की पहचान होनी बाकी है, उनके बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। हादसे में जान गंवाने वाले लोगों में यूपी के अलावा कर्नाटक के  4, असम से 1, गुजरात से 1 लोग शामिल हैं। वहीं, 36 घायलों को प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज चल रहा है। बाकी लोगों को उपचार के बाद छुट्टी दे गई है, फिलहाल स्थिति सामान्य है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला प्रशासन द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है। जिस पर ऐसे व्यक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है जिनसे उनके परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। सभी महामंडलेश्वरों, संतों और अखाड़ों के द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए विलंब से अमृत स्नान किया गया है।