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How Tirumala Prasadam Laddu Is Made In Hindi: कैसे बनता है तिरुमला के भगवान वेंकटेश्वर का वो लड्डू वाला प्रसादम?, जिसमें जानवर की चर्बी का इस्तेमाल होने का आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने लगाया आरोप

How Tirumala Prasadam Laddu Is Made In Hindi: आंध्र प्रदेश के सीएम और टीडीपी के चीफ चंद्रबाबू नायडू ने गंभीर आरोप लगाया कि राज्य में जब जगनमोहन रेड्डी की सरकार थी, उस वक्त तिरुमला के भगवान वेंकटेश्वर के प्रसादम यानी लड्डू में देशी घी की जगह जानवर की चर्बी मिलाई जाती थी।

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर के पास तिरुमला की पहाड़ियों पर भगवान वेंकटेश्वर का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था का ये बड़ा केंद्र है। कहा जाता है कि यहां भक्त पहुंचकर भगवान वेंकटेश्वर से जो भी मांगते हैं, वो इच्छा जरूर पूरी होती है। यहां भक्तों को प्रसाद के तौर पर लड्डू दिए जाते हैं। इसे प्रसादम कहा जाता है। अब आंध्र प्रदेश के सीएम और टीडीपी के चीफ चंद्रबाबू नायडू ने गंभीर आरोप लगाया कि राज्य में जब जगनमोहन रेड्डी की सरकार थी, उस वक्त तिरुमला के भगवान वेंकटेश्वर के प्रसादम यानी लड्डू में देशी घी की जगह जानवर की चर्बी मिलाई जाती थी। इससे सियासत के गर्माने के आसार हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर का ये प्रसादम यानी लड्डू आखिर बनाया कैसे जाता है?

भगवान वेंकटेश्वर का प्रसादम यानी लड्डू बनाने का काम अत्याधुनिक मशीनों के अलावा हाथों से भी किया जाता है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी ने इसके लिए मंदिर परिसर में ही कार्यशाला बना रखी है। इस कार्यशाला में रोज हजारों की संख्या में लड्डू बनाए जाते हैं। जो भी भक्त भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए तिरुमला आते हैं, उनको लड्डू का प्रसादम दिया जाता है। इस प्रसादम को खास तौर पर तैयार किया जाता है और देश या विदेश के किसी भी मंदिर में इस तरह का लड्डू नहीं बनता, जैसा तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर के लिए बनाया जाता है। तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर के इस प्रसादम का लड्डू बनाने में गाय का घी, बेसन, शक्कर, काजू, मुनक्का, कलाकंद और इलायची का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी सामान श्रीवारी स्टोर से रोज कार्यशाला में मंगाकर लड्डू तैयार होते हैं। 5100 लड्डू बनाने के लिए इन सभी सामग्री का 875 किलोग्राम चाहिए होता है।

तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर का दर्शन करने वालों के लिए प्रसादम यानी लड्डू देने की शुरुआत साल 1803 में हुई थी। उस समय यहां बूंदी का प्रसाद भक्तों को मिलता था। इसके बाद 1940 में बूंदी की जगह इससे बना लड्डू दिया जाने लगा। भक्तों की संख्या के हिसाब से लड्डू बनाए जाते हैं। साल 1950 में लड्डू का वजन तय किया गया। फिर 2001 में लड्डू का वजन एक बार फिर तय किया गया। इसी वजन का लड्डू अब भी तिरुमला तिरुपति देवस्थानम टीटीडी के काउंटरों से भक्तों को दिया जाता है।