नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बहादुरी से सेवारत पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) हुमायूँ भट्ट ने आतंकवादियों के साथ गोलाबारी में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। मुठभेड़ के दौरान उन्हें गोली लग गई। गोली लगने से वो शहादत को प्राप्त हुए। ये एक ऐसा क्षण था जो इतिहास में दर्ज हो गया। उन अंतिम क्षणों में, जब उन्हें अपने जीवन की गंभीर वास्तविकता का सामना करना पड़ा, जब वो घायल हो गए तो डीएसपी हुमायूं भट्ट एक वीडियो कॉल के माध्यम से अपनी पत्नी फातिमा से जुड़े हुए थे। जो शब्द उसने उसके साथ छोड़े वे मार्मिक और दिल दहला देने वाले थे, “मुझे गोली लगी है, नहीं लगता कि मैं बच सकूंगा हमारे बेटे का ध्यान रखना।”
यह घटना बुधवार सुबह अनंतनाग के गुडूल कोकेरनाग इलाके में सामने आई, जहां आतंकवादियों की गोलीबारी में डीएसपी हुमायूं घायल हो गए। उनकी बटालियन के होने के कारण हेलीकॉप्टर के आगमन के में कुछ समय लगा। जैसे ही मौके पर सहायता पहुंची, उन्हें तुरंत घटनास्थल से श्रीनगर के सेना अस्पताल ले जाया गया, जहां फातिमा अपने 29 दिन के बेटे के साथ उत्सुकता से अपने पति का इंतजार कर रही थीं। दुख की बात है कि तमाम कोशिशों के बावजूद हुमायूँ ने दम तोड़ दिया। उनकी शादी के ठीक एक साल बाद, 27 सितंबर को फातिमा ने अपने पति को खो दिया।
हुमायूं के पिता और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक गुलाम हसन भट्ट अपने बेटे के निर्जीव शरीर के पास चुपचाप खड़े थे, जो अकल्पनीय दुख की घड़ी थी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जावेद मुजतबा गिलानी के साथ, उन्होंने शहीद अधिकारी के ताबूत पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ताबूत पर लिपटा हुआ तिरंगा भारत के इस वीर सपूत के बलिदान की याद दिला रह था।