नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने महिला आरक्षण पर कानून बनाने का ऐलान करके बड़ा सियासी दांव चल दिया है। सरकार के इस ऐलान के बाद अब सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है कि क्या जिन आकांक्षाओं के साथ केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण पर कानून बनाने का ऐलान किया है। क्या वे आकांक्षाएं पूरी पाएंगी? ये तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में निहित है, लेकिन आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार महिला आरक्षण पर कानून बनाने की दिशा में अब एक्शन मोड में आ चुकी है। बीते मंगलवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में महिला आरक्षण बिल पर मुहर लगा दी गई थी। जिसके बाद आज इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में पेश किया।
अब कल इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। जिसके बाद यह कानून का रूप धारण कर लेगा। कल इस पर काउंटिंग भी होगी। वहीं, संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मुझे ईश्वर ने इस नेक काम के लिए चुना है। वहीं, अब खबर है कि कल सुबह 10 बजे इंडिया गठबंधन ने इस मुद्दे पर बैठक बुलाई है, जिसमें सभी नेता शामिल होंगे। सभी अपने-अपने तर्क रखेंगे।सूत्रों से मुताबिक, बैठक में महिला आरक्षण बिल पर केंद्र सरकार की घेराबंदी कैसे की जाए? इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।
हालांकि, लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में महिला आरक्षण बिल को लेकर काफी हो-हल्ला देखने को मिला। लोकसभा में विपक्ष की ओर से अधीर रंजन चौधरी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी सरकार ने भी महिला आरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए। वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह बिल सिर्फ ओबीसी और एसी महिलाओं के लिए लाया जा रहा है, चूंकि पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाली अधिकांश महिलाएं आर्थिक तौर पर पिछड़ी हुई हैं। फिलहाल, महिला आरक्षण को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार है। अब ऐसे में आगामी दिनों में इस पूरे मसले पर क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।