
नई दिल्ली। बोफोर्स घोटाले को उजागर करने वाली पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने द हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम गंभीर आरोप लगाया है। ‘बोफोर्स गेट : ए जर्नलिस्ट्स परस्यूट ऑफ ट्रुथ’ किताब की लेखिका चित्रा सुब्रमण्यम ने कहा कि एन. राम जोकि द हिंदू अखबार में मेरे संपादक हुआ करते थे उन्होंने मेरे साथ धोखा किया। उन्होंने मेरे सूत्र का नाम उजागर कर दिया और मेरे द्वारा जुटाई गई महत्वपूर्ण जानकारी तथा दस्तावेजों को जानबूझकर दबा कर रखा, उसे पब्लिश नहीं होने दिया। वहीं बीजेपी ने भी चित्रा सुब्रमण्यम के आरोपों के जरिए पूर्व संपादक एन. राजू पर निशाना साधा है।
N. Ram, the ousted editor of The Hindu, was handing out journalism certificates just last week in an interview with the BBC. Now, he finds himself called out for his own ethical lapses—not to mention his botched Rafale exposé, which crumbled within minutes of publication. https://t.co/LjoWvPiH95
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 17, 2025
पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम ने कहा कि एक पत्रकार के लिए सबसे बुरी बात यह हो सकती है कि उसे संपादक द्वारा धोखा दिया जाए, और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। उस समय मैं द हिंदू के साथ काम कर रही थी, और एन. राम 18 महीने तक मेरे संपादक थे। मैंने एक स्रोत तैयार किया था, और कानूनी तौर पर मुझे अपने स्रोत के नाम का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं थी लेकिन मैंने सद्भावनापूर्वक ऐसा किया। बाद में, मुझे पता चला कि मेरे स्रोत का नाम उजागर कर दिया गया था, और महत्वपूर्ण दस्तावेजों का उपयोग भी नहीं किया गया था। मेरे पास सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज मार्टिन आर्बो की डायरी थी, जिसमें ‘गांधी ट्रस्टी वकील’ का उल्लेख था, और एक दस्तावेज में ‘गांधी’ नाम का उल्लेख था। एक पत्रकार के रूप में, आप इसकी महत्ता की कल्पना कर सकते हैं।
चित्रा ने कहा, लगभग एक साल तक उस दस्तावेज का उपयोग नहीं किया गया, और मुझे बताया गया कि ‘उचित समय’ नहीं आया है, यह उचित समय क्या है? दरअसल मेरे संपादक पॉलिटिकल गेम खेल रहे थे। मैंने अपने मास्टर्स थीसिस के प्रोफसर से इस बात का जिक्र किया था तो उन्होंने भी संपादक के इस काम को अनुचित बताया था। वहीं, चित्रा सुब्रमण्यम के वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने लिखा, द हिंदू के बर्खास्त संपादक एन. राम पिछले हफ़्ते ही बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में पत्रकारिता के प्रमाण-पत्र बांट रहे थे। अब, उन्हें अपनी नैतिक चूकों के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। राफेल मामले में उनके द्वारा किए गए बेबुनियाद खुलासे का तो जिक्र ही न करें, जो प्रकाशन के कुछ ही मिनटों के भीतर ध्वस्त हो गए।