नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट ने फेस्टिवल सीजन के दौरान लाउडस्पीकर के तेज़ आवाज़ में बजने पर कड़ी टिप्पणी की है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि अगर गणेश उत्सव के दौरान तेज़ आवाज़ में बजने वाला लाउडस्पीकर हानिकारक हो सकता है, तो ईद के जुलूसों के दौरान भी इसका वही प्रभाव होता है। यह टिप्पणी अदालत में दायर की गई कई जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई के दौरान आई, जिनमें ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूसों में “डीजे”, “डांस” और “लेजर लाइट्स” के उपयोग पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाओं में दावा किया गया कि न तो कुरान और न ही हदीस में डीजे सिस्टम या लेजर लाइट्स के उपयोग का उल्लेख है।
लाउडस्पीकर अगर गणेशोत्सव पर हानिकारक हैं तो ईद पर भी नुकसानदेह हैं: बंबई उच्च न्यायालय pic.twitter.com/Y96i8fFp2t
— Sajan (@Hey_Sajan) September 18, 2024
ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट की सख्ती
हाईकोर्ट ने पिछले महीने गणेश उत्सव के दौरान ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत तय की गई ध्वनि सीमा से अधिक शोर करने वाले उपकरणों और लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ओवैस पेचकर ने अदालत से इस आदेश में ईद के त्योहार को भी शामिल करने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आदेश में ‘सार्वजनिक त्योहार’ शब्द का उपयोग किया गया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि गणेश उत्सव के दौरान तेज आवाज़ हानिकारक है, तो ईद के दौरान भी यह हानिकारक होगा।
लेजर लाइट पर वैज्ञानिक प्रमाण की मांग
लेजर लाइट के इस्तेमाल पर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा कि यह मनुष्यों के लिए हानिकारक है। पीठ ने कहा कि जनहित याचिका दायर करने से पहले उचित शोध आवश्यक है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि वे अदालत को सही दिशा-निर्देश देने में मदद करें और कहा, “हम विशेषज्ञ नहीं हैं। हमें लेजर का ‘एल’ भी नहीं पता है।” अदालत ने यह भी कहा कि जनहित याचिका दायर करने से पहले गहन अध्ययन और शोध किया जाना चाहिए ताकि अदालत को सही जानकारी मिल सके और वह सही दिशा में निर्णय ले सके।