कानपुर। नेपाल में शुक्रवार की रात आए 6.4 तीव्रता के भूकंप ने 150 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। नेपाल में आए इस भूकंप से हजारों लोग घायल हुए हैं। भूकंप इतना तेज था कि दिल्ली से लेकर पटना और उत्तर भारत के तमाम इलाकों में लोगों को जबरदस्त झटके महसूस हुए और दहशत फैल गई। नेपाल में आज सुबह भी 3.5 की तीव्रता का भूकंप आया है। अब आईआईटी कानपुर ने भूकंप को लेकर जो भविष्यवाणी की है, उससे भारत का चिंतित होना लाजिमी है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक ने ये भविष्यवाणी की है। न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक जावेद मलिक ने कहा कि एक ही जगह पर लगातार भूकंप और वो भी कम तीव्रता के आना काफी खतरनाक है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक के मुताबिक इससे संकेत मिलते हैं कि भविष्य में बड़ा और विनाशकारी भूकंप आने वाला है।
प्रोफेसर जावेद मलिक ने भविष्यवाणी की है कि अब उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आ सकता है। उन्होंने कहा कि अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि नेपाल में आने वाले भूकंप पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में उत्तराखंड में अब बड़ा भूकंप आने की आशंका है। प्रोफेसर जावेद मलिक की ये भविष्यवाणी इसलिए भी चिंता बढ़ाती है, क्योंकि उत्तराखंड में भी पिछले काफी समय से छोटे भूकंप आ रहे हैं। मलिक ने ये भी कहा कि आईआईटी कानपुर ने भूकंप की आशंका वाले इलाकों में धरती में मौजूद फॉल्ट लाइंस की पहचान की है। इससे मकान या प्रोजेक्ट्स लगाने वालों को पता चल जाएगा कि कहां भूकंप आने से जान और माल का बड़ा नुकसान हो सकता है। आईआईटी की ये रिसर्च भूकंप के मामले में काफी अहम होने वाली है। अब तक वैज्ञानिक कभी भी ये पक्के तौर पर बता नहीं सके हैं कि कब और किस तारीख को कहां भूकंप आएगा। अब आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक की भविष्यवाणी से उत्तराखंड में भी भूकंप के लिए पहले से तैयारी सरकार कर सकेगी।
हमारे देश के पर्वतीय इलाके भूकंप प्रभावित जोन-5 में आते हैं। यानी इन इलाकों में बड़े भूकंप आने की आशंका हमेशा रहती है। इसकी वजह ये है कि हिमालय के नीचे धरती की जो प्लेट है, वो लगातार यूरेशिया की प्लेट से टकराती रहती है। करोड़ों साल से ये टकराव चल रहा है और इसी टकराव की वजह से हिमालय जैसी विशाल पर्वत शृंखला भी बनी है। अनुमान ये जताया जाता रहा है कि भारत के पर्वतीय इलाकों, खासकर उत्तराखंड में 8 की तीव्रता का भयानक भूकंप आ सकता है। अगर इतनी तीव्रता का भूकंप आया, तो उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होने के पूरे आसार हैं।