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Sambhal: संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे में कमल और शेषनाग जैसी मिली आकृतियां, रिपोर्ट्स में दावा

Sambhal: सूत्रों के मुताबिक, सर्वे टीम ने अपनी रिपोर्ट में 1,000 से अधिक तस्वीरें कोर्ट को सौंपी हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद के मुख्य द्वार के दो खंभों के ऊपरी हिस्से में कमल की आकृति मिली है। साथ ही, कमल के ऊपर नक्काशीदार कलश होने का भी दावा किया गया है।

नई दिल्ली। संभल में स्थित ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद को लेकर हाल ही में हुए सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। कोर्ट के आदेश पर 19 और 24 नवंबर को हुए इस सर्वे की रिपोर्ट अब अदालत में पेश कर दी गई है। एक न्यूज चैनल के पास इस सर्वे की सुपर एक्सक्लूसिव जानकारी और तस्वीरें हैं, जिनमें कई दावे किए गए हैं।

सर्वे की अहम जानकारियां

सूत्रों के मुताबिक, सर्वे टीम ने अपनी रिपोर्ट में 1,000 से अधिक तस्वीरें कोर्ट को सौंपी हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद के मुख्य द्वार के दो खंभों के ऊपरी हिस्से में कमल की आकृति मिली है। साथ ही, कमल के ऊपर नक्काशीदार कलश होने का भी दावा किया गया है।

मस्जिद की मुख्य इमारत के बाहरी हिस्से पर दो आले मिलने का दावा किया गया है, जिन पर मंदिर की घंटियों के निशान बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, मस्जिद के मुख्य गुंबद के भीतरी हिस्से में मंदिर की घंटियों की जंजीर की आकृति होने का दावा किया गया है।

कुएं और बरगद के पेड़ों का रहस्य

सर्वे में मस्जिद परिसर के चबूतरे पर एक कुआं मिलने की भी बात कही गई है, जिसे लोहे के दरवाजे से बंद किया गया है। वहीं, परिसर में दो प्राचीन बरगद के पेड़ भी पाए गए, जिनमें से एक पर कालिख लगी हुई है।


क्या है मामला?

कोर्ट ने 19 नवंबर को मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था। इसके बाद एडवोकेट कमिश्नर की अगुवाई में टीम ने मस्जिद का निरीक्षण किया। 19 नवंबर के बाद 24 नवंबर को दोबारा सर्वे किया गया। इसी दिन हुए सर्वे के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई।

इस घटना के बाद संभल में करीब एक सप्ताह तक तनावपूर्ण शांति बनी रही। इसी दौरान, संभल और आसपास के क्षेत्रों में मंदिर और बावड़ी मिलने के नए दावे भी सामने आए। इन स्थानों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग की टीमों ने भी सर्वे किया।

आगे की कार्रवाई पर नजर

शाही जामा मस्जिद को लेकर किए गए दावों ने एक बार फिर धार्मिक स्थलों के इतिहास और संरचनाओं पर बहस छेड़ दी है। कोर्ट अब इस रिपोर्ट और उसके दावों पर अगली सुनवाई करेगा। इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की नजरें अदालत के फैसले पर टिकी हैं।