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वैश्विक महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए केंद्र ने प्रभावी कदम उठाए : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकारों की तारीफ की है।

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकारों की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है, पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है, जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है।

President Ramnath Kovind

74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने कहा, “यह बहुत आश्वस्त करने वाली बात है कि इस चुनौती का सामना करने के लिए, केंद्र सरकार ने पूर्वानुमान करते हुए, समय रहते, प्रभावी कदम उठा लिए थे। इन असाधारण प्रयासों के बल पर, घनी आबादी और विविध परिस्थितियों वाले हमारे विशाल देश में, इस चुनौती का सामना किया जा रहा है। राज्य सरकारों ने स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई की। जनता ने पूरा सहयोग दिया।”

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, “इन प्रयासों से हमने वैश्विक महामारी की विकरालता पर नियंत्रण रखने और बहुत बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है। यह पूरे विश्व के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण है।”

President Ramnath Kovind

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े, इसके लिए जरूरतमन्द लोगों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। इस अभियान से हर महीने, लगभग 80 करोड़ लोगों को राशन मिलना सुनिश्चित किया गया है। 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, देश-विदेश में रह रहे, भारत के सभी लोगों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “इस अवसर पर, हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करते हैं। उनके बलिदान के बल पर ही, हम सब, आज एक स्वाधीन देश के निवासी हैं।”

उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि महात्मा गांधी हमारे स्वाधीनता आंदोलन के मार्गदर्शक रहे। उनके व्यक्तित्व में एक संत और राजनेता का जो समन्वय दिखाई देता है, वह भारत की मिट्टी में ही संभव था।