
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रॉपर्टी पर लगने वाले टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया था। केंद्र सरकार ने प्रॉपर्टी बेचने पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को 7.5 प्रतिशत घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है लेकिन इस पर मिलने वाले इंडेक्सेशन बेनिफिट को हटा दिया है। मगर अब सरकार ने इस बारे में नया स्पष्टीकरण जारी किया है। वित्त मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि इंडेक्सेशन बेनिफिट साल 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टीज पर लागू होगा। इंडेक्सेशन बेनिफिट की सुविधा के चलते प्रॉपर्टी बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स देनदारी कम हो जाती है।
वित्त मंत्री ने पूर्व में एक स्टैंडर्ड लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की घोषणा की। इसके मुताबिक किसी भी प्रकार की संपत्ति को बेचने पर 12.5 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। मगर अब सरकार ने इस पर स्पष्टीकरण देते हुए कुछ राहत प्रदान की है। इंडेक्सेशन बेनिफिट साल 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टीज पर लागू होगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक बजट में प्रॉपर्टी बेचने वालों के लिए दो अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं। पहली कैटेगरी में साल 2001 से पहले खरीदी गई या पारिवारिक विरासत में मिली प्रॉपर्टी को रखा गया है। जबकि दूसरी कैटेगरी में 2001 के बाद खरीदी गई प्रापर्टी को रखा गया है। इससे अब उन लोगों को राहत मिलेगी जिनके पास 2001 से पहले की संपत्ति है।
आपको बता दें कि किसी भी प्रॉपर्टी को बेचने के बाद विक्रेता को उससे हुए लाभ को इंडेक्सेशन बेनिफ़िट से कैलकुलेट किया जाता है। इस लाभ की रकम पर अभी तक 20 फ़ीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स वसूला जाता है, जिसे अब 7.5 प्रतिशत घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। इंडेक्सेशन बेनिफिट के लिए आयकर विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी किया जाने वाला कॉस्ट इन्फ़्लेशन इंडेक्स (सीआईआई) इस्तेमाल किया जाता है। इसी आंकड़ों के आधार पर प्रॉपर्टी की खरीद कीमत को मौजूदा समय के अनुसार महंगाई की दर के समायोजित मूल्य से आंका जाता है।