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Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 से भारत ने फिर रचा इतिहास, चांद की सतह की सबसे साफ तस्वीरें खींचने वाला पहला देश बना, पहले की थी पानी की खोज

भारत के चंद्रयान-3 अभियान ने दुनिया में एक बार फिर इतिहास रच दिया है। सोमनाथ ने बताया कि रेगोलिथ यानी किसी अंतरिक्ष पिंड की सतह की ये सबसे करीबी तस्वीरें हैं। इसरो चीफ ने बताया कि इतने करीब से चांद की सतह की तस्वीरें पहले कभी नहीं खींची गईं। इससे पहले चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी की खोज की थी।

तिरुवनंतपुरम। भारत के चंद्रयान-3 अभियान ने दुनिया में एक बार फिर इतिहास रच दिया है। पहली बार किसी देश का यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने से सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया में उल्लास है। अब विक्रम लैंडर और उसका प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर लगातार प्रयोग कर रहे हैं। विक्रम लैंडर में जहां इसरो ने 4 यंत्र लगाए हैं। वहीं, प्रज्ञान रोवर में 2 यंत्र लगाए गए हैं। चांद पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से इसरो के वैज्ञानिक 3 सितंबर तक प्रयोग कर सकेंगे। फिलहाल जितना भी डेटा और फोटो इसरो ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से हासिल किया है, उससे वो उत्साहित हैं।

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इसरो के चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने रविवार को मीडिया से उत्साहजनक बात कही। इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया कि पहली बार किसी देश के यान ने चांद की सतह की सबसे साफ तस्वीरें खींची हैं। सोमनाथ ने बताया कि रेगोलिथ यानी किसी अंतरिक्ष पिंड की सतह की ये सबसे करीबी तस्वीरें हैं। इसरो चीफ ने बताया कि इतने करीब से चांद की सतह की तस्वीरें पहले कभी नहीं खींची गईं। उन्होंने बताया कि तस्वीरों को जारी करने में थोड़ी देर लग रही है, क्योंकि हमेशा विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं रहता। जब संपर्क होता है, तो पहले तस्वीरें इसरो के कम्प्यूटर सेंटर में आती हैं। फिर इन तस्वीरों को इंडियन स्पेसक्राफ्ट एंड एक्सप्लोरेशन मिशन डेटा सेंटर भेजा जाता है। वहां वैज्ञानिक इन तस्वीरों को देखते हैं और उनका आकलन करते हैं। जिसके बाद तस्वीरों को जारी किया जाता है।

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इसरो चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सभी यंत्र ठीक से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 3 सितंबर तक चांद पर सूरज की रोशनी रहेगी। यानी उस तारीख तक चांद पर दिन होगा। ऐसे में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान से सभी प्रयोग पूरे करने में वैज्ञानिक जुटे हैं। प्रज्ञान रोवर के साथ दिक्कत है कि ये रोवर 1 मिनट में 1 सेंटीमीटर चलता है। ऐसे में उसे चांद की सतह पर दूसरी दिशा में घुमाने में ही 5 घंटे का वक्त जाया होता है। चांद पर प्रज्ञान रोवर को विक्रम लैंडर से 500 मीटर दूरी तक चलने लायक बनाया गया है। अब इसरो की नजर यंत्रों पर टिकी है। इन यंत्रों से मिलने वाले डेटा का आकलन कर बड़ी खोज करने की वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि भारत का चंद्रयान-1 दुनिया का पहला ऐसा यान था, जिसके प्रोब ने चांद पर पानी की खोज की थी।