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Saudi-India Energy Partnership: अब भारत सिर्फ सऊदी अरब से कच्चा तेल और गैस का खरीदार ही नहीं रहेगा, इतिहास रचकर पुराने दोस्त मुल्क को बेचेगा बिजली

अभी दुनिया में समुद्र के नीचे से 485 बिजली वाली केबल के जरिए ऊर्जा का ट्रांसफर होता है। इनमें से सबसे लंबी केबल ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच है। इस केबल को वाइकिंग केबल के नाम से पहचाना जाता है। भारत अभी नेपाल और बांग्लादेश को बिजली बेचता है। जबकि, भूटान से आयात करता है।

नई दिल्ली। अब तक हम सऊदी अरब से कच्चा तेल यानी ऊर्जा खरीदते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने अब सऊदी अरब को ऊर्जा बेचने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब सऊदी अरब और भारत ऊर्जा साझेदारी करेंगे। सऊदी अरब से भारत अपनी जरूरत का एक-तिहाई कच्चा तेल खरीदता है। जबकि, भारत का पुराना दोस्त ये देश रसोई गैस का सबसे बड़ा सप्लायर है। सऊदी अरब और भारत ने अब ऊर्जा विक्रेता और खरीदार की इस भूमिका को बदलने का फैसला किया है। सऊदी अरब के प्रिंस और वहां के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन सलमान और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत में ये फैसला हुआ है। ये फैसला ऐतिहासिक है क्योंकि अब तक भारत और सऊदी अरब के बीच विक्रेता और खरीदार का ही एकतरफा रिश्ता था।

भारत और सऊदी अरब के बीच सोमवार को जिन 50 एमओयू पर दस्तखत हुए हैं, उनमें से एक में भारत से सऊदी अरब को बिजली देने का भी है। सऊदी अरब की बिजली ग्रिड को भारत की तरफ से समुद्र के नीच केबल बिछाकर सप्लाई किया जाएगा। इसके अलावा भारत और सऊदी अरब ग्रीन फ्यूल के तौर पर पहचाने जाने वाले हाईड्रोजन को लेकर भी साझा काम करेंगे। भारत की कई कंपनियां भी सऊदी अरब में सौर ऊर्जा प्लांट लगाएंगी। पीएम मोदी ने दूसरी बार सरकार बनाने के बाद ‘एक विश्व एक सूर्य’ का नारा दिया था। इसी के तहत सऊदी अरब में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का काम किया जाएगा। इससे स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल होगा और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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अभी दुनिया में समुद्र के नीचे से 485 बिजली वाली केबल के जरिए ऊर्जा का ट्रांसफर होता है। इनमें से सबसे लंबी केबल ब्रिटेन और डेनमार्क के बीच है। इस केबल को वाइकिंग केबल के नाम से पहचाना जाता है। बात करें बिजली के आयात और निर्यात की, तो भारत अभी भूटान से बिजली आयात करता है और नेपाल व बांग्लादेश को बिजली का निर्यात ग्रिड के जरिए करता है।