
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में किए जाने का इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी का कहना है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट डस्टबिन हो गया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले से यहां की न्यायिक व्यवस्था की पारदर्शिता भी सवालों के घेरे में आ जाएगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और कॉलेजियम से पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जो कार्रवाई करनी है वो करें लेकिन उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ना भेजें।
Prayagraj News: न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरण#PrayagrajNews
-न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरण पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने ऐतराज जताया है।
-हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है… pic.twitter.com/NDocg6wOXt— Newstrack (@newstrackmedia) March 21, 2025
अध्यक्ष अनिल तिवारी ने यह भी कहा कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपी जज को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजकर प्रयोगशाला के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच होनी चाहिए अगर जांच में वो भ्रष्टाचार के आरोपी नहीं पाए जाते तो उनको वापस दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त कर देना चाहिए। उन्हें बिना जांच के इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का क्या औचित्य है। क्या यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्यादातर लोग भ्रष्ट हैं। इस संबंध में अधिवक्ता साथी मिलकर 24 मार्च को जनरल हाउस की मीटिंग में फैसला लेंगे और अगर जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट तबादला निरस्त नहीं किया गया तो बहुत बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसे किसी भी हालत में टॉलरेट नहीं किया जाएगा।
आपको बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग जाने के कारण दमकलकर्मियों को बुलाया गया था। उस वक्त जस्टिस वर्मा घर पर मौजूद नहीं थे। आग बुझाने के बाद जब दमकलकर्मी नुकसान का जायजा लेने के लिए निरीक्षण कर रहे थे तब उन्हें एक कमरे में नोटों की कई गड्डियां मिली, जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ। ऐसा बताया जा रहा है कि उनके घर से लगभग 15 करोड़ की बरामदगी हुई है।