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Chandrayaan-3: इसरो के वैज्ञानिकों के लिए आज अहम दिन, शाम 7 बजे चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को पहुंचाने का करेंगे काम

अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने धरती के चारों तरफ चंद्रयान की 5 कक्षाएं बदली थीं। चांद के चारों तरफ भी 5 कक्षाएं बदलने के बाद उसे उतारा जाएगा। सबसे छोटी कक्षा 100 किलोमीटर की गोलाकार होगी। चंद्रयान-3 को 23 अगस्त शाम 5.47 बजे चांद की जमीन पर उतारने का इसरो वैज्ञानिकों ने प्लान बनाया है।

नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए आज अहम दिन है। आज शाम करीब 7 बजे भारत के चंद्रयान-3 को इसरो के वैज्ञानिक चांद की कक्षा में पहुंचाने का काम करेंगे। धरती से चांद तक की दूरी का दो-तिहाई हिस्सा चंद्रयान-3 ने पूरा कर लिया है। इसरो के मुताबिक आज चंद्रयान-3 को चांद की कक्षा में स्थापित करना सबसे अहम काम है। पूरे मिशन की सफलता के लिए ये जरूरी है। इसरो के वैज्ञानिकों ने बीती 1 अगस्त को रात 12 से 1 बजे तक चंद्रयान-3 के थ्रस्टर रॉकेट चलाकर उसे धरती की कक्षा से निकालकर चांद की तरफ रवाना किया था।

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धरती की कक्षा से निकालकर चांद की तरफ भेजने को ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। जिस वक्त ट्रांसलूनर इंजेक्शन किया गया, उस वक्त चंद्रयान-3 धरती के चारों तरफ 236X1.27 लाख किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा था। जब चंद्रयान-3 धरती से 236 किलोमीटर की दूरी पर था, उस वक्त उसके थ्रस्टर रॉकेट चालू किए गए थे। इससे चंद्रयान ने तेजी पकड़ी और वो चांद की तरफ बढ़ गया था। चंद्रयान-3 करीब 43000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की तरफ बड़ रहा है। आज दोपहर बाद चांद्र के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में चंद्रयान-3 पहुंचेगा। जिसके बाद ही उसे चांद के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में भेजा जाएगा।

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अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने धरती के चारों तरफ चंद्रयान की 5 कक्षाएं बदली थीं। चांद के चारों तरफ भी 5 कक्षाएं बदलने के बाद उसे उतारा जाएगा। सबसे छोटी कक्षा 100 किलोमीटर की गोलाकार होगी। चंद्रयान-3 को 23 अगस्त शाम 5.47 बजे चांद की जमीन पर उतारने का इसरो वैज्ञानिकों ने प्लान बनाया है। पहली बार चांद भेजा गया कोई यान उसके दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा। इससे पहले जिन देशों ने चांद पर अपने यान भेजे, वो वहां भूमध्य रेखा, उसके उत्तर या दक्षिण में कुछ दूरी पर लैंड हुए थे। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के वहां उतरने के बाद उससे रोवर बाहर निकलेगा। ये रोवर 14 दिन तक अपने यंत्रों के जरिए चांद की जमीन की पड़ताल करेगा। इससे चांद के और तमाम भेद खुलने की संभावना जताई जा रही है।