नई दिल्ली। असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक निपेन दास को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं निपेन दास पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। कुछ दिन पहले ‘वारिस पंजाब दे’ खालिस्तानी समूह के कैदियों के कब्जे से स्मार्टफोन, स्पाईकैम, पेन ड्राइव, ब्लूटूथ आदि जब्त किए गए थे। इस घटनाक्रम के बाद डीजीपी ज्ञानेंद्र सिंह ने खुद जेल का दौरा किया था और मामले की जांच के आदेश दिए थे। इस जांच के आदेश के बाद ही जेलर की गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है।
VIDEO| Superintendent of Assam’s #Dibrugarh Central Jail, Nipen Das, was arrested earlier today over the seizure of electronic gadgets, including a smartphone, from the possession of inmates belonging to radical outfit ‘Waris Punjab De’.
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— Press Trust of India (@PTI_News) March 8, 2024
डिब्रूगढ़ के पुलिस अधीक्षक राकेश रेड्डी ने बताया कि कुछ दिन पहले जेल के अंदर तलाशी ली गई थी। तब हमें मोबाइल फोन, कीपैड के साथ रिमोट, कीबोर्ड, एक स्पाई-कैमरा पेन, पेनड्राइव, एक ब्लूटूथ हेडफोन और स्पीकर जैसे डिवाइस मिले थे। उस मामले के आधार पर हमने एक जांच शुरू की है और हमने कुछ तकनीकी डेटा भी एकत्र किया है। हमने पाया कि जेल अधिकारियों, विशेष रूप से अधीक्षक और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ है। इस कारण से हमने मामला दर्ज किया है। आज जेल अधीक्षक निपेन दास को गिरफ्तार कर लिया गया।
#WATCH | Assam: On the arrest of Nipen Das, Superintendent of Central Dibrugarh Jail, SP Dibrugarh Rakesh Reddy says, “A few days ago, a search was conducted inside the jail, where we found mobile phones, remote with keypad, and other devices inside the jail premises. Based on… https://t.co/d1DmZnVFXI pic.twitter.com/mfjyjpKAO7
— ANI (@ANI) March 8, 2024
जेलर के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। आपको बता दें कि गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) काफी खतरनाक होता है। इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है। इसका दायरा इतना व्यापक होता है कि न केवल अपराधी बल्कि वैचारिक विरोध और आंदोलन या दंगा भड़काने की स्थिति में भी यह एक्ट लगाया जाता है। इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। गौरतलब है कि खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल और उसके चाचा समेत दस लोगों को पंजाब के विभिन्न स्थानों से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया था।