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Dibrugarh jailor arrest : खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल की मदद के आरोप में जेलर गिरफ्तार, यूएपीए के तहत कार्रवाई

Dibrugarh jailor arrest : डिब्रूगढ़ जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ खालिस्तानी समूह के कैदियों के कब्जे से कुछ दिन पहले स्मार्टफोन, स्पाईकैम, पेन ड्राइव, ब्लूटूथ आदि जब्त किए गए थे। इसी के बाद जेलर निपेन दास पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है।

नई दिल्ली। असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक निपेन दास को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं निपेन दास पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। कुछ दिन पहले ‘वारिस पंजाब दे’ खालिस्तानी समूह के कैदियों के कब्जे से स्मार्टफोन, स्पाईकैम, पेन ड्राइव, ब्लूटूथ आदि जब्त किए गए थे। इस घटनाक्रम के बाद डीजीपी ज्ञानेंद्र सिंह ने खुद जेल का दौरा किया था और मामले की जांच के आदेश दिए थे। इस जांच के आदेश के बाद ही जेलर की गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है।

डिब्रूगढ़ के पुलिस अधीक्षक राकेश रेड्डी ने बताया कि कुछ दिन पहले जेल के अंदर तलाशी ली गई थी। तब हमें मोबाइल फोन, कीपैड के साथ रिमोट, कीबोर्ड, एक स्पाई-कैमरा पेन, पेनड्राइव, एक ब्लूटूथ हेडफोन और स्पीकर जैसे डिवाइस मिले थे। उस मामले के आधार पर हमने एक जांच शुरू की है और हमने कुछ तकनीकी डेटा भी एकत्र किया है। हमने पाया कि जेल अधिकारियों, विशेष रूप से अधीक्षक और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ है। इस कारण से हमने मामला दर्ज किया है। आज जेल अधीक्षक निपेन दास को गिरफ्तार कर लिया गया।

जेलर के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई है। आपको बता दें कि गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) काफी खतरनाक होता है। इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है। इसका दायरा इतना व्यापक होता है कि न केवल अपराधी बल्कि वैचारिक विरोध और आंदोलन या दंगा भड़काने की स्थिति में भी यह एक्ट लगाया जाता है। इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। गौरतलब है कि खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल और उसके चाचा समेत दस लोगों को पंजाब के विभिन्न स्थानों से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया था।