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Jean Dreze : ज्यां द्रेज कौन हैं, और किस वजह से चर्चा में हैं? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

Jean Dreze : 1979 में पहली बार भारत आए ज्यां ने 1980 की गर्मियों में जयपुर, अजमेर, कोटा, भोपाल समेत कई जगहों की साइकिल से यात्रा की। 1983 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान, नई दिल्ली से पीएचडी की। ज्यां को 2002 में भारत की नागरिकता मिली।

नई दिल्ली। बेल्जियम में जन्मे और बाद में भारत की नागरिकता लेने वाले जाने माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की आजकल काफी चर्चा हो रही है। वैसे तो ज्यां द्रेज हमेशा ही अपनी जीवन शैली और अपने कामों को लेकर चर्चा में रहते हैं लेकिन इस बार उनके चर्चा में रहने का कारण कुछ और है। ज्यां द्रेज ने भारत में लोकतंत्र और आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ ऐसा कहा है कि हर तरफ उनके बयान की चर्चा हो रही है। अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र मौजूदा समय में संकट का सामना कर रहा है। उन्होंने केंद्र की बीजेपी सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का भी गंभीर आरोप लगाया। लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में यह धांधली जैसा लग रहा है।

ज्यां फिलहाल दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में ऑनरेरी प्रोफेसर और रांची यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के विजिटिंग प्रोफेसर हैं और फिलहाल रांची में ही रहते हैं। ज्यां द्रेज ने एक साक्षात्कार में कहा कि लेखिका अरुंधति राय ने 2019 के लोकसभा चुनाव को फेरारी कार और कुछ साइकिल के बीच प्रतिस्पर्धा बताया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह बात 2024 के मौजूदा चुनाव में भी लागू होती है। इलेक्टोरल बांड को लेकर उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश की बदौलत हमें पता चल पाया कि फेरारी में कॉरपोरेट क्षेत्र द्वारा ईंधन भरा जा रहा है। रांची विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ द्रेज ने कहा, विपक्षी दल भले ही अच्छी स्थिति में न हों, लेकिन इस बार वे एक साथ हैं और इससे चुनाव में काफी फर्क पड़ सकता है।

साइकिल से घूमने वाले ज्यां कभी झुग्गी झोपड़ियों में गरीबों के बीच रहते हैं तो कभी सड़क पर बैठकर उनके साथ खाना खाने लगते हैं। अपनी इसी तरह की जीवन शैली को लेकर वो अक्सर चर्चा में रहते हैं। ज्यां द्रेज नरेगा की ड्राफ्टिंग करने के अलावा राइट टू फूड कैंपेन, सूचना का अधिकार जैसे कई मुहिम में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। ज्यां ने भूख, अकाल, शिक्षा, लैंगिक असमानता, बच्चों की देखभाल, स्कूल में भोजन और रोजगार गारंटी जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकास अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1979 में पहली बार भारत आए ज्यां ने 1980 की गर्मियों में जयपुर, अजमेर, कोटा, भोपाल समेत कई जगहों की साइकिल से यात्रा की। उन्होंने 1980 के दशक में एसेक्स विश्वविद्यालय में गणितीय अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और 1983 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान, नई दिल्ली से पीएचडी की। ज्यां को 2002 में भारत की नागरिकता मिली। ज्यां द्रेज का जन्म 22 जनवरी 1959 को बेल्जियम के ल्यूवेन में हुआ था। वह जैक्स द्रेज के बेटे हैं जिन्होंने यूनिवर्सिटी कैथोलिक डी लौवेन में सेंटर फॉर ऑपरेशंस रिसर्च एंड इकोनोमेट्रिक्स की स्थापना की थी। उनके भाई, जेवियर द्रेज, एक विपणन और उपभोक्ता अनुसंधान विद्वान हैं।