
पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में तेज रफ्तार पोर्श कार से कुचलकर दो लोगों की जान लेने के मामले में जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) ने पुलिस को झटका दिया है। पुणे पुलिस ने पोर्श कार चला रहे नाबालिग को बालिग मानकर केस चलाने की अर्जी जेजे बोर्ड में दी थी। जेजे बोर्ड ने मंगलवार को पुणे पुलिस की अर्जी को खारिज कर दिया। जेजे बोर्ड के फैसले के बाद पोर्श कार से कुचलकर जान लेने के मामले में आरोपी को बालिग मानते हुए केस नहीं चल सकेगा। जेजे बोर्ड ने कहा है कि पोर्श कार केस में 17 साल के आरोपी को किशोर मानते हुए ही केस चलेगा। यानी आरोपी को एक तरह से राहत मिली है। जेजे बोर्ड इस मामले में पहले भी सवालों के घेरे में आया था।

पोर्श कार से कुचलकर मारने की घटना 19 मई 2024 को हुई थी। पुणे के कल्याणी नगर में बाइक पर आईटी कंपनी में काम करने वाले अनीश अवधिया और उनकी दोस्त अश्विनी कोस्टा जा रहे थे। कोरेगांव पार्क इलाके में तेज रफ्तार पोर्श कार चला रहे आरोपी ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी थी। आरोपी उस वक्त शराब के नशे में भी था। पुलिस ने पहले लापरवाही से पोर्श कार चलाने का केस दर्ज किया था। आरोपी के शराब पीये होने की पुष्टि जब जांच में हुई, तो मामला गंभीर हो गया था। जेजे बोर्ड ने समाज सेवा, पढ़ाई पर ध्यान देने और 100 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्तों पर आरोपी को 14 घंटे में ही जमानत दे दी थी। जेजे बोर्ड के कदम पर देशभर में लोगों का गुस्सा फूटा था।
पुणे पोर्श कार मामले में बेटे को बचाने के लिए उसके पिता विशाल अग्रवाल ने काफी जोर भी लगाया था। खुलासा हुआ था कि विशाल ने बेटे के ब्लड टेस्ट से पहले पुणे के सरकारी ससून हॉस्पिटल के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड रहे डॉ. अजय तावड़े से फोन पर 14 बार बात की थी। इस मामले में विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया था। पुणे पुलिस ने डॉ. अजय तावड़े के घर छापा भी मारा था। पुणे पुलिस ने पोर्श कार मामले में डॉ. तावड़े के अलावा ससून अस्पताल के सीएमएस रहे डॉ. श्रीहरि हाल्नोर और स्टाफ के सदस्य अतुल घाटकांबले को भी गिरफ्तार किया था। दोनों पर नाबालिग आरोपी के सैंपल डस्टबिन में फेंकने और अन्य सैंपल से बदलने का आरोप लगा। अब जेजे बोर्ड की तरफ से आरोपी को बालिग न माना जाना इस केस के नतीजे पर असर डाल सकता है।