newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Haryana Election Result: हरियाणा के चुनावी रणक्षेत्र में हो गई JJP और दुष्यंत चौटाला की हालत खराब, 2 निर्दलीय से भी पीछे रहे

Haryana Election Result: बीते विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और दुष्यंत चौटाला को किंगमेकर की भूमिका मिली थी। लेकिन इस बार गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी और खुद दुष्यंत चौटाला को करारी हार का सामना करना पड़ा। न सिर्फ उनकी पार्टी का खाता बंद रहा, बल्कि वह अपनी परंपरागत सीटें भी नहीं बचा सके।

नई दिल्ली। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में इतिहास रचते हुए पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। पिछली बार बीजेपी ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी, लेकिन इस बार गठबंधन टूटने के बावजूद बीजेपी ने सत्ता बचाने में सफलता हासिल की। निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से सरकार की स्थिति मजबूत हो गई। इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई, वहीं जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला की स्थिति बेहद कमजोर रही।


उचाना कलां सीट पर बीजेपी की जीत, दुष्यंत की हार

उचाना कलां विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार देवेंद्र अत्री ने कांटे की टक्कर में जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह को मात्र 32 वोटों के अंतर से हराया। हालांकि, जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला इस सीट पर अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। उन्हें केवल 7,950 वोट ही मिले, जबकि दो निर्दलीय उम्मीदवारों को उनसे ज्यादा वोट प्राप्त हुए।

पार्टी प्रत्याशी वोट
बीजेपी देवेंद्र अत्री 48,968
कांग्रेस बृजेंद्र सिंह 48,936
निर्दलीय वीरेंद्र घोघरियां 31,456
निर्दलीय विकास 13,458
जेजेपी दुष्यंत चौटाला 7,950
निर्दलीय दिलबाग सांडिल 7,373
इनेलो विनोद पाल सिंह 2,653
आप पवन फौजी 2,495

जेजेपी की गिरती स्थिति और दुष्यंत की हार

बीते विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी और दुष्यंत चौटाला को किंगमेकर की भूमिका मिली थी। लेकिन इस बार गठबंधन टूटने के बाद जेजेपी और खुद दुष्यंत चौटाला को करारी हार का सामना करना पड़ा। न सिर्फ उनकी पार्टी का खाता बंद रहा, बल्कि वह अपनी परंपरागत सीटें भी नहीं बचा सके।


कांग्रेस के लिए निर्दलीयों की चुनौती

उचाना कलां सीट पर कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती निर्दलीय उम्मीदवारों की रही। विशेषकर, वीरेंद्र घोघरियां ने कांग्रेस की स्थिति कमजोर कर दी। उन्हें 31,000 से अधिक वोट मिले, जबकि विकास को 13,000 से ज्यादा वोट मिले। वीरेंद्र पहले कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया था। कांग्रेस को उनकी निष्कासन की भारी कीमत चुकानी पड़ी।