
नागपुर। शिवसेना पर हो रही कब्जे की जंग में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर उद्धव ठाकरे को जोर का झटका दिया है। उद्धव ठाकरे को नागपुर विधानसभा परिसर में 30 साल पहले शिवसेना को आवंटित दफ्तर छोड़ना पड़ा है। अब इस दफ्तर को शिंदे गुट को दिया गया है। हालत ये हो गई कि नागपुर के दौरे पर आए उद्धव को अपने पुराने दफ्तर में प्रवेश तक का मौका नहीं मिला। उद्धव ठाकरे ने ऐसे में महाविकास अघाड़ी की बैठक नागपुर विधानभवन में कांग्रेस के दफ्तर में की। इस बैठक में उद्धव ने एकनाथ शिंदे और बीजेपी की गठजोड़ सरकार के खिलाफ विधानमंडल सत्र के दौरान रणनीति तय की।
विधानभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि फिलहाल के रिकॉर्ड के मुताबिक एकनाथ शिंदे ही आधिकारिक शिवसेना के नेता हैं। इस वजह से शिवसेना को पहले दिए गए दफ्तर पर शिंदे के बालासाबेबांची शिवसेना का दावा सही है। बयान में कहा गया है कि उद्धव बालासाहेब गुट के विधायकों को दफ्तर के लिए बैरक संख्या 5 और 6 में नया दफ्तर दिया गया है। दफ्तर को अपने कब्जे में करने के बाद शिंदे गुट के विधायकों ने शिवसेना के दफ्तर से उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे की फोटो हटा दी। उनकी जगह एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद दिघे की फोटो लगा दी गई।
इस मामले में उद्धव गुट की ओर से कहा गया कि दफ्तर गंवाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस गुट के नेता सुनील प्रभु ने कहा कि वो लोगों के मुद्दे उठाने आए हैं। अपना काम वो जारी रखेंगे। प्रभु ने कहा कि वो शिंदे गुट के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। उद्धव गुट की तरफ से हालांकि दफ्तर खाली कराने के लिए धमकी दिए जाने का आरोप भी लगाया गया। इस गुट की एमएलसी मनीषा कयांडे ने मीडिया से कहा कि शिंदे गुट के कुछ विधायकों ने उनको दफ्तर खाली करने के लिए धमकी दी।