नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी। इस फैसले के बाद जस्टिस संजीव खन्ना की हर ओर चर्चा हो रही है। जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एच. आर. खन्ना के भतीजे हैं जिन्होंने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 2 में आज भी जस्टिस एच.आर. खन्ना की तस्वीर टंगी है। जस्टिस संजीव खन्ना आजकल उसी कोर्ट नंबर 2 में बैठकर सुनवाई करते हैं और साथी जज जस्टिस दीपांकर दत्ता के साथ फैसले सुनाते हैं।
दरअसल आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ़ अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार भी छीन लिया गया था। मामला जब सुप्रीम कोर्ट आया, पांच जजों की संविधान पीठ में से चार ने सरकार की हां में हां मिला दिया था। लेकिन जस्टिस खन्ना ने अलग राय रखी थी। (उस केस को एडीएम जबलपुर एवं अन्य बनाम शिवाकांत शुक्ला के नाम से जाना जाता है।) बाद में जस्टिस एच.आर. खन्ना को सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी। वरिष्ठता क्रम में उनसे जूनियर जज को मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया, इसके बाद जस्टिस खन्ना ने इस्तीफा दे दिया था। उन्हें अपने इस फैसले के दुष्परिणामों का अंदाजा भी था।
अपनी आत्मकथा ‘नॉर रोज़ेज़ नॉर थॉर्न्स’ में जस्टिस खन्ना ने लिखा है, मैंने अपना निर्णय तैयार कर लिया है, जिसकी कीमत मुझे भारत के मुख्य न्यायाधीश पद से चुकानी होगी। एक बहुत कठिन समय के दौरान जस्टिस खन्ना एच.आर. खन्ना ने न्यायालय की गरिमा को बरकरार रखा और अपने इस ऐतिहासिक कार्य के लिए अमर हो गए। सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ के नवंबर में रिटायर होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना वरिष्ठता क्रम के मुताबिक अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में सबसे आगे हैं।