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Justice Yashwant Verma: कैश जलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने बचाव में दिए ये तर्क, जानिए जजों की कमेटी ने रिपोर्ट में क्या कहा?

Justice Yashwant Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा ने बचाव में ये दलील भी दी है कि किसी और ने आउटहाउस में शायद कैश रख दिया हो। उन्होंने खुद के खिलाफ साजिश का शक भी जताया है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा है कि आउटहाउस लॉक नहीं था और तमाम लोग वहां जाते थे। हालांकि, जजों की जांच कमेटी ने पाया कि जहां कैश जलने की बात है आमतौर पर वो कमरा लॉक रहता था। इस मामले में जांच रिपोर्ट को राष्ट्रपति को भेजा गया है और अब महाभियोग चल सकता है।

नई दिल्ली। जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली हाईकोर्ट का जज रहते 14 मार्च की रात आवास के स्टोर रूम में आग लगने से कैश जलने के मामले में 3 जजों की कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट 4 मई को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को सौंपी थी। अब अंग्रेजी अखबार द हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी खबर में बताया है कि जजों की कमेटी की रिपोर्ट में क्या कहा गया है। साथ ही ये जानकारी भी सामने आई है कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश जलने के मामले में अपने बचाव में क्या तर्क दिए हैं?

अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास के स्टोर रूम में आग लगने के अगले दिन 15 मार्च को अज्ञात लोगों ने उस जगह की सफाई की थी। जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में 105 पेज का बयान दिया है। दिल्ली के आवास और आउटहाउस का प्लान भी इसमें शामिल है। अखबार के मुताबिक जस्टिस वर्मा ने सीसीटीवी फुटेज न होने और जले हुए सामान की फोरेंसिक जांच न होने पर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च को वो वीडियो और फोटो जारी किए थे, जिसमें एक कमरे में जला हुआ कैश दिख रहा है। अनधिकृत जानकारी कहती है कि करोड़ों का कैश वहां था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन की कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में कैश मिला, इसलिए उनको ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके पाध्याय ने भी 21 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा को चिट्ठी लिखकर कहा था कि दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने सुरक्षा गार्ड के हवाले से जानकारी दी है कि जला हुआ सामान आपके आवास से 15 मार्च 2025 को हटाया गया। अखबार के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा ने सवाल उठाया है कि किस पुलिस अफसर ने कैश जलने संबंधी वाट्सएप मैसेज दो दिन बाद 16 मार्च को पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को भेजा था? जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में ये भी कहा है कि सीसीटीवी फुटेज भी नहीं है। जबकि, कैश जिस कमरे में जला उसकी तरफ कैमरा लगा है। वहीं, जांच कमेटी ने कहा है कि सीसीटीवी फुटेज की जांच चंडीगढ़ के फोरेंसिक साइंस लैब में कराई गई, लेकिन उनको कोई सबूत नहीं मिला। जस्टिस वर्मा का कहना है कि सीसीटीवी के फुटेज दर्ज करने वाला हार्ड ड्राइव गार्ड रूम में रखा है और वो उसे कंट्रोल नहीं करते। जबकि, जजों की कमेटी ने कहा है कि कैश जलने के 10 दिन बाद 25 मार्च को हार्ड ड्राइव सीज किए गए। कमेटी ने शक जताया है कि सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ की जा सकती है।

जस्टिस यशवंत वर्मा ने बचाव में ये दलील भी दी है कि किसी और ने आउटहाउस में शायद कैश रख दिया हो। उन्होंने खुद के खिलाफ साजिश का शक भी जताया है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा है कि आउटहाउस लॉक नहीं था और तमाम लोग वहां जाते थे। हालांकि, जजों की जांच कमेटी ने पाया कि जहां कैश जलने की बात है आमतौर पर वो कमरा लॉक रहता था। अपने बचाव में जस्टिस वर्मा ने दावा किया है कि आग लगने के वक्त उनकी 27 साल की बेटी आवास में मौजूद थी। उसने जोरदार विस्फोट की आवाज सुनी थी और इसकी जांच नहीं की गई। वहीं, जजों की जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घटना के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा का व्यवहार सामान्य नहीं पाया गया और इससे उनकी गलती लगती है।

3 जजों की जांच कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि जब जस्टिस यशवंत वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल से लौटे, उसके बाद वो उस कमरे में नहीं गए, जहां आग लगी थी। जस्टिस यशवंत वर्मा ने ये कहा है कि वो अपनी बुजुर्ग मां की सेवा के प्रति ज्यादा चिंतित थे। जस्टिस यशवंत वर्मा के मुताबिक उनकी मां आग लगने की घटना से बहुत परेशान थीं। इसकी वजह से वो और उनकी बेटी देर तक जागते रहे थे। जस्टिस वर्मा ने ये भी कहा कि उनको किसी की तरफ से आग लगाने का शक है। वहीं, जजों की कमेटी ने इसे भी संदिग्ध माना कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर के आदेश को बिना किसी विरोध के मान लिया। जबकि, जस्टिस यशवंत वर्मा ने बचाव में कहा है कि वो तब के सीजेआई संजीव खन्ना से खुद मिलकर खुद पर लगे आरोपों के बारे में दलील देना चाहते थे, लेकिन 6 मई को उनको सीजेआई ने अल्टीमेटम दिया कि या तो पद से इस्तीफा दें या महाभियोग का सामना करें।