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Karnataka High Court Judge’s Objectionable Comment Case : कर्नाटक हाईकोर्ट के जज ने केस के दौरान कर दी ऐसी टिप्पणी, शीर्ष अदालत को लेना पड़ा स्वत: संज्ञान

Karnataka High Court Judge’s Objectionable Comment Case : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पांच जजों की बेंच ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से रिपोर्ट से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। मामले में अगली सुनवाई अब 25 सितंबर को होगी।

नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट के जज वी. श्रीशानंद ने एक केस की सुनवाई के दौरान कुछ ऐसी टिप्पणियां कर दीं कि अब वो खुद मुश्किल में आ गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के जज की टिप्पणी पर स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर.गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पांच जजों की बेंच ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से रिपोर्ट से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से निर्देश के बाद उच्चतम न्यायालय को इस संबंध में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सीजेआई ने कहा, सोशल मीडिया के इस युग में, हम पर कड़ी नजर रखी जाती है और हमें उसके अनुसार ही किसी भी तरह की टिप्पणी करनी चाहिए। मामले में अगली सुनवाई अब 25 सितंबर को होगी।

दरअसल हाईकोर्ट के जज वेदव्यासचार श्रीशानंद द्वारा 28 अगस्त को एक केस की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों के दो अलग-अलग वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए। पहले वीडियो में जज वेदव्यासचार श्रीशानंद ने बेंगलुरु के एक मुस्लिम बाहुल इलाके गोरी पाल्या को पाकिस्तान कह दिया। उन्होंने कहा कि गोरी पाल्या से लेकर मैसूर फ्लाईओवर तक का इलाका भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान है और वहां कानून लागू नहीं होता।

एक अन्य वीडियो में उन्होंने केस से जुड़ी महिला वकील को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। जस्टिस श्रीशानंद ने महिला वकील से कहा कि आप विरोधी पक्ष के बारे में बहुत कुछ जानती हैं, इस तरह से तो आप उसके अंडरगार्मेंट का रंग भी बता सकती हैं। देखते ही देखते यह दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। महिला वकील से जुड़ी टिप्पणी वाले वीडियो को तो देश की जानी मानी वकील इंदिरा जयसिंह ने खुद अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में संज्ञान लेने की गुजारिश की थी।