नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश कृष्ण एस दीक्षित का कहना है कि संविधान निर्माण में ब्राह्मणों का अहम योगदान रहा है। अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस दीक्षित ने कहा कि संविधान की मसौदा समिति के सात सदस्यों में से तीन ब्राह्मण थे। कृष्णस्वामी अय्यर, एन गोपालस्वामी अयंगर और बी. एन. राव वो तीन ब्राह्मण थे जिन्होंने देश के संविधान के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जस्टिस दीक्षित ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने खुद कहा था कि अगर बी. एन. राव ने संविधान की ड्राफ्टिंग नहीं की होती तो इसको बनने में और 25 साल लगते।
18-19 जनवरी को आयोजित दो दिवसीय ब्राह्मण सम्मेलन ‘विश्वामित्र’ में जस्टिस दीक्षित ने कहा कि ब्राह्मणों को जाति से नहीं बल्कि वर्ण से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेदों की रचना करने वाले वेदव्यास मछुआरे के पुत्र थे जबकि महर्षि वाल्मीकि जिन्होंने हिंदुओं के सभी पवित्र धर्मग्रंथ रामायण को लिखा वो या तो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से आते थे इसके बावजूद क्या ब्राह्मणों ने उन्हें हेय दृष्टि से देखा। ब्राह्मणों ने हमेशा महर्षि वेद व्यास और महर्षि वाल्मीकि को भगवान की तरह पूजा है। उन्होंने कहा कि जब हम ब्राह्मण की बात करते हैं तो यह गर्व की बात है क्योंकि ब्राह्मणों ने ही द्वैत, अद्वैत, विशिष्ट अद्वैत और शुद्ध अद्वैत का दर्शन दिया।
जस्टिस दीक्षित ने कहा कि देश की एकता को बनाए रखने में भी ब्राह्मणों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि एक ब्राह्मण कल्हण ने ही राजतरंगिणी की रचना की। इतना ही नहीं अल्लामा इकबाल जिन्होंने सारे जहां से अच्छा लिखा था वो भी पहले ब्राह्मण ही थे। भारत रत्न पाने वाले ब्राह्मण पीवी काणे ने धर्मशास्त्र की सात खंडों में रचना की है। अपने इस ग्रंथ में उन्होंने गैर ब्राह्मणों के योगदान का भी जिक्र किया है।