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Karnataka : भ्रष्टाचार और विवादों से घिरी रुपा-रोहिणी का ऐसा रहा है इतिहास, देखिए कनार्टक की IAS-IPS अधिकारियों की अजब-गजब कहानी

Karnataka : विवादों में चल रही कर्नाटक IPS डी रूपा मौदगिल कर्नाटक कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं, सन् 2000 में डी रूपा ने यूपीएससी परीक्षा पास कर देशभर में 43 वीं रैंक हासिल की थी, 2016 और 2017 में उन्हें प्रेसीडेंट पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया था।

नई दिल्ली। कर्नाटक में दो वरिष्ठ महिला प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की लड़ाई सोशल मीडिया के अखाड़े में आ गई है। राज्य सरकार की वार्निंग के बाद भी कर्नाटक में महिला IPS डी रूपा और IAS रोहिणी की लड़ाई अब भ्रष्टाचार के आरोपों से निजी तस्वीरों को शेयर करने के आरोप तक पहुंच गई है। डी रूपा लगातार IAS रोहिणी पर आरोपों की बौछार कर रही हैं, उन पर 19 आरोप लगाए हैं। इसमें शौचालय निर्माण के आंकड़ों में हेर-फेर कर केंद्र सरकार से पुरस्कार जीतने तक का आरोप भी लगाया गया था। आपको बता दें कि कर्नाटक में तैनात IAS रोहिणी ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए इन्हें मनगढ़ंत बताया है। खास बात ये है कि दोनों ही वरिष्ठ अधिकारी इससे पहले भी कई बार विवादों में घिर चुके हैं, डी रूपा अपने 20 साल के करियर में 40 से ज्यादा बार स्थानांतरित हो चुकी हैं, वहीं IAS रोहिणी का साथी आईएएस अधिकारियों से कई बार विवाद हो चुका है और उन्हें भी ट्रांसफर किए जाने की सजा दी जा चुकी है

जानिए आखिर कौन हैं IPS अधिकारी डी रूपा

आपको बता दें कि विवादों में चल रही कर्नाटक IPS डी रूपा मौदगिल कर्नाटक कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं, सन् 2000 में डी रूपा ने यूपीएससी परीक्षा पास कर देशभर में 43 वीं रैंक हासिल की थी, 2016 और 2017 में उन्हें प्रेसीडेंट पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया था। उनकी छवि सख्त पुलिस अधिकारी के तौर पर है। वह सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डी रूपा का बचपन कर्नाटक के शहर दावनगेरे में बीता है, 2004 में वह पहली बार तब चर्चा में आईं थी जब वह 1994 में हुबली दंगा के मामले में कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश की तत्कालीन सीएम उमा भारती को गिरफ्तार करने पहुंची थीं। जिसके बाद वो देशभर में चर्चाओं में आई थीं।

कौन हैं रोहिणी सिंधुरी

आपको बता दें कि डी रूपा के साथ विवादों में आई रोहिणी सिंधुरी 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, वह अब तक कई पोस्टों पर रह चुकी हैं। 2011 में उन्हें पहली पेास्ट तुमकुमर में असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर मिली थी। 2014 में जिला पंचायत मांड्या की सीईओ रहते हुए रिकॉर्ड शौचालय बनवाने के लिए उन्हें केंद्र सरकार की ओर से पुरस्कार भी दिया गया था। यहां उन्होंने एक ऐसी एप भी लांच कराई थी, जिससे लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए बिना अपनी संपत्ति के कागजात डाउनलोड कर सकते हैं। अपनी काबिलियत की दम पर ही 2015 में सरकार ने रोहिणी को उन तीन अधिकारियों में शामिल किया था जिन्हें स्वच्छ भारत मिशन के तहत अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्तमान में वह कमिश्नर ऑफ हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती के पद पर तैनात हैं। इसके अलावा उनका भी विवादों से पुराना नाता रहा है।