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Uttar Pradesh: हुनर हाट में ‘कश्मीरी पश्मीना’ का जलवा, ठंड में भी दिलाएगा गर्मी का अहसास

Uttar Pradesh: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उनके स्टॉल पर आकर पश्मीना शॉल (Pashmina Shawl ) को देखा। मुख्यमंत्री ने जिस पश्मीना शॉल को देखा था उसकी कीमत सत्तर हजार रुपये है। यहां तीन से पांच हजार रुपये में पश्मीना वूल के मिल रहे स्टोल की बिक्री खूब हो रही है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहे हुनर हाट की प्रदर्शनी में कश्मीर का पश्मीना शॉल काफी लोकप्रिय हो रहा है। जीरो डिग्री के तापमान में बचाने वाला पश्मीना यहां के लोगों को गर्मी का अहसास करा रहा है। कोरोना संकट के चलते दुनिया भर में मशहूर कश्मीर की पश्मीना शॉल का बिजनेस भले ही सुस्ती की मार झेल रहा है, लेकिन हुनर हाट में पहुंच रहे लोग इस शॉल के मुरीद हो रहे हैं। यहां लद्दाख निवासी कुन्जांग डोलमा के लगाए गए स्टाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नारंगी कलर के पश्मीना शॉल को देखा है। इस शॉल को देखने की ललक लेकर अब हुनर हाट में पहुंच रहे अधिकांश लोग खासकर महिलाएं इसे खरीदने में उत्साह दिखा रही हैं।

Kashmiri Pashmina Hunar Haat UP

हुनर हाट में पश्मीना शॉल और पश्मीना वूल से बने स्वेटर, सूट, मफलर, स्टोल, स्वेटर, मोजे और ग्लब्स आदि लोग खरीद भी रहे हैं और उनकी सराहना भी कर रहे हैं। यहां पश्मीना शॉल का स्टाल लगाने वाली लद्दाख निवासी कुन्जांग डोलमा इस शहर के लोगों के स्वभाव से बहुत प्रभावित हैं। कुन्जांग डोलमा के अनुसार इस शहर के लोग बहुत स्वीट हैं, विनम्र हैं। यहां के लोग असली पश्मीना शॉल देख कर बहुत खुश हैं।

Kashmiri Pashmina Hunar Haat UP

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके स्टॉल पर आकर पश्मीना शॉल को देखा। मुख्यमंत्री ने जिस पश्मीना शॉल को देखा था उसकी कीमत सत्तर हजार रुपये है। यहां तीन से पांच हजार रुपये में पश्मीना वूल के मिल रहे स्टोल की बिक्री खूब हो रही है।

Yogi Adityanath Hunar Haat Kashmiri Pashmina Stall UP

कुन्जांग डोलमा के अनुसार, कश्मीर की पश्मीना शॉल किसी पहचान की मोहताज नहीं है। पश्मीना वूल को सबसे अच्छा वूल माना जाता है। यह लद्दाख में बहुत ज्यादा सर्दी वाली जगहों पर पाई जाने वाली चंगथांगी बकरियों से मिलता है। चंगथांगी बकरियों को पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा के पास तिब्बती पठार के एक पश्चिमी विस्तार, चंगथांग क्षेत्र में खानाबदोश चंगपा पशुपालकों द्वारा पाला जाता है। अपने देश में इन बकरियों के बाल से बनी वूल को पश्मीना वूल कहते हैं लेकिन यूरोप के लोग इसे कश्मीरी वूल कहते हैं। पश्मीना से बनने वाले शॉल पर कश्मीरी एंब्रॉयडरी की जाती है।

Yogi Adityanath Hunar Haat UP

पश्मीना शॉल पर आमतौर पर हाथ से डिजाइन किया जाता है। यह पीढ़ियों पुरानी कला है। लद्दाख और श्रीनगर जिले के कई जिलों में पश्मीना शॉल पर सुई से कढ़ाई कई कारीगरों के लिए आजीविका है। वे जटिल डिजाइनों की बुनाई करने के लिए ऊन के धागे इस्तेमाल करते हैं। सुई से कढ़ाई करने में रेशम के धागे का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है। इसके नाते इस तरह के शॉल की कीमत ज्यादा होती है। यह शॉल बेहद हल्के और गरम होते हैं। कश्मीर से इनकी सप्लाई सबसे ज्यादा दिल्ली और नॉर्थ इंडिया में होती है। बाहर के देशों की बात करें तो यूरोप, जर्मनी, गल्फ कंट्रीज जैसे कतर, सउदी अरब आदि देशों में भी कश्मीर से पश्मीना शॉल का एक्सपोर्ट होता है।

Yogi Adityanath Hunar Haat UP

कुन्जांग डोलमा आत्मनिर्भरता की एक मिशाल हैं। उनके दादा चंगथांगी बकरियों का पालन करते थे। उनके प्रेरणा लेकर कुन्जांग ने शॉल, सूट, स्टोल, स्वेटर, कैप आदि बनाने का कार्य दो महिलाओं के साथ मिलकर अपनी पॉकेट मनी से शुरू किया था। आज लद्दाख से लेकर श्रीनगर में करीब पांच सौ महिलाएं पश्मीना शॉल लेकर पश्मीना वूल से बने सूट, स्टोल सहित करीब 35 उत्पाद ला पश्मीना ब्रांड से बना रहे हैं।

Kashmiri Pashmina Hunar Haat UP

इस ब्रांड से बने उत्पाद बनाने वाले सब लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं और खुश हैं। कुन्जांग डोलमा का कहना है कि जिस तरह से लखनऊ के लोगों ने पश्मीना वूल को लेकर उत्साह दिखाया है, उसके चलते अब वह हर साल हुनर हाट में अपना स्टॉल लगाने के लिए लद्दाख से आएंगी।