नई दिल्ली। राहुल गांधी ने अमेरिका में सिखों के बारे में बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। सिखों की हालत के बारे में राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए याद दिलाया था कि 1984 में कांग्रेस के शासनकाल में सिख विरोधी दंगे हुए थे। अब राहुल गांधी एक बार फिर सवालों के घेरे में आ सकते हैं, क्योंकि खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस यानी एसएफजे के प्रमुख और भारत में मोस्ट वांटेड गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल गांधी के सिखों के बारे में बयान का समर्थन किया है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बयान में कहा है कि भारत में सिखों के अस्तित्व पर खतरा है। एसएफजे के मुखिया पन्नू ने अपने बयान में राहुल के सिखों पर दिए बयान को साहसिक भी बताया है। पन्नू का कहना है कि 1947 से भारत में सिखों ने जिन हालात का सामना किया, उसके तथ्यात्मक इतिहास पर भी राहुल गांधी का बयान आधारित है। खालिस्तानी आतंकी संगठन के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा है कि राहुल गांधी का बयान सिख मातृभूमि की स्थापना के लिए एसएफजे के उस रुख की पुष्टि करता है, जिसके तहत जनमत संग्रह की बात कही गई है।
राहुल गांधी ने अपने मौजूदा अमेरिका के दौरे में बयान दिया था कि लड़ाई राजनीति की नहीं, लड़ाई इसकी है कि क्या सिख के रूप में उनको भारत में पगड़ी पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं। राहुल गांधी ने कहा था कि एक सिख के तौर पर भारत में उनको कड़ा पहनने की मंजूरी मिलेगी या नहीं। राहुल ने ये भी सवाल उठाया था कि क्या एक सिख गुरुद्वारा जाने में सक्षम होगा। राहुल गांधी ने कहा था कि लड़ाई इसी पर है और सभी धर्मों के लिए है। यहां गौर करने की बात है कि राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत भारत के कई राज्यों में सिख विरोधी दंगे हुए थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार उन दंगों में 3000 से ज्यादा सिखों की हत्या की गई थी। इनमें से 2000 से ज्यादा सिखों की हत्या दिल्ली में हुई थी। इसके बाद राहुल गांधी के पिता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी का बयान आया था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती हिलती है। राजीव गांधी के इसी बयान और सिख विरोधी दंगों का मसला उठाकर बीजेपी लगातार राहुल गांधी से माफी की मांग करती रही है।