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Mallikarjun Kharge: राहुल के बाद खड़गे के बयान को रिकॉर्ड से हटाया, तो तिलमिलाए कांग्रेस नेता ने दी अभिव्यक्ति के आजादी की दुहाई

Mallikarjun Kharge: खड़गे की 6 टिप्पणियों को अप्रमाणिक मानते हुए रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। जिस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस नेता ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को दो पृष्ठों को पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए अपने द्वारा की गई टिप्पणी असंसदीय बताने से साफ इनकार कर दिया है।

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नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों के कुछ अंशों को असंसदीय मानते हुए उन्हें रिकॉर्ड से हटाए जाने को लेकर छिड़ा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि आज राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान को भी असंसदीय मानते हुए रिकॉर्ड से हटा दिया गया। खड़गे की 6 टिप्पणियों को अप्रमाणिक मानते हुए रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। जिस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस नेता ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को दो पृष्ठों को पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए अपने द्वारा की गई टिप्पणी असंसदीय बताने पर कड़ी आपत्ति जताई है। आइए, आपको बताते हैं कि कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में क्या लिखा है।

खड़गे ने अपने पत्र में क्या लिखा…!

कांग्रेस नेता ने विभिन्न संवैधानिक मूल्यों का हवाला देकर अपने बयान को रिकॉर्ड से हटाए जाने के कदम को असंवैधानिक बताया है। खड़गे ने अपने पत्र में रूल 234A का हवाला देते हुए कहा कि सभापति संसद के किसी भी सदस्य द्वारा दिए गए बयान को तभी रिकॉर्ड से हटा सकते हैं, जब सभापति को लगे कि उसके द्वारा दिया गया बयान विवादित या अपमानजनक है।

इसके अलावा कांग्रेस नेता ने रूल 238 में आरोप शब्द को परिभाषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि संसदीय कार्यप्रणाली में उन बयानों और शब्दों को आरोपों की श्रेणी में डाला गया है, जो कि न्यायालय में लंबित हैं, या संसद के किसी सदस्य द्वारा किसी साथी सदस्य पर पारस्परिक वैमनस्यता के आधार पर निजी प्रहार करने के ध्येय से कोई बात कही जाती है, तभी उसे संसदीय कार्यप्रणाली में आरोपों के रूप में परिभाषित किया जाता है।

अभिव्यक्ति की आजादी का भी दिया हवाला 

खड़गे ने आगे संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए अभिव्यक्ति की आजादी को भी परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 105 के तहत संसद के सभी सदस्यों को किसी भी मसले पर बोलने की संपूर्ण आजादी है। जिसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में भी परिभाषित किया जाता है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर सदन के किसी भी सदस्य द्वारा संसद के पटल पर रखी गई बातों को भी रिकॉर्ड से हटाने का प्रावधान है, ना की भाषण के दौरान कही गई किसी भी बात रिकॉर्ड से हटाने का प्रावधान संविधान में है। लिहाजा उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों के अनरूप देखें तो संसद मेरे द्वारा कही गई कोई भी बात व्यक्तिगत आरोप लगाने से ध्येय से प्रेरित नहीं थी।

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