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SC Decision On Article 370: सोमवार को आएगा अनुच्छेद 370 रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, इससे पहले कश्मीर घाटी के बारे में हुआ है ये बड़ा निर्णय

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस मामले में बीते दिनों सुनवाई पूरी कर ली थी। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कश्मीर घाटी के लिए पुलिस और प्रशासन ने कुछ अहम निर्णय किए हैं।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करना सही था या नहीं, इसपर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सोमवार को सुबह 10.30 बजे फैसला सुनाने वाली है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस मामले में बीते दिनों सुनवाई पूरी कर ली थी। जस्टिस संजय किशन कौल कुछ दिन बाद रिटायर हो जाएंगे। इस वजह से 370 रद्द करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर संविधान पीठ जल्दी सुनवाई कर अब फैसला सुनाने जा रही है। इस अहम फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को भी बढ़ाने का फैसला हुआ है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एडीजी कानून और व्यवस्था विजय कुमार ने शुक्रवार को सुरक्षा की समीक्षा की।

supreme court

एडीजी विजय कुमार की बुलाई सुरक्षा संबंधी समीक्षा बैठक में कश्मीर घाटी के सभी 10 जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक मौजूद थे। इस बैठक में ये भी तय हुआ है कि सोशल मीडिया या अन्य तरीकों से आतंकवाद को शह देने वाली किसी भी कोशिश से निपटा जाएगा। ऐसे लोगों पर भी आतंकवाद से जुड़ी धाराएं लगाई जाएंगी। सभी उपायुक्तों और एसपी ने एडीजी के साथ बैठक में अपने जिलों में ताजा सुरक्षा हालात के बारे में बताया। जिसके बाद एडीजी ने 10 जिलों के एसपी से इस सुरक्षा को और तगड़ा करने के लिए कहा है। एडीजी ने साफ कहा है कि नजर रखी जाए और शांति भंग करने वालों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई भी हो। इस बैठक में आईबी के अफसर भी थे। कुल मिलाकर कश्मीर घाटी में हर भारत विरोधी तत्व पर नजर रखी जा रही है और देशविरोधी काम करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

5 अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने राष्ट्रपति का एक आदेश जारी किया था। इससे भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर में लागू हो गए। ये आदेश संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव पर आधारित था। इसके बाद 6 अगस्त को एक आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंडों को निरस्त कर दिया गया और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को लागू कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में अलग किया गया था।