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Who Will Be In The National Task Force? : डाक्टरों की सुरक्षा के लिए गठित नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन होगा, यहां जानिए…

Who Will Be In The National Task Force? : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि मेडिकल पेशेवरों को अपने काम के दौरान कई बार तमाम प्रकार की हिंसा झेलनी पड़ती है। कई बार डाक्टर्स चौबीस घंटे काम करते हैं, फिर भी उन्हें सुरक्षा नहीं मिलती। मामले की अगली सुनवाई अब 22 अगस्‍त को होगी।

नई दिल्ली। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डाक्टर की रेप के बाद हत्या मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डाक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स के गठन की बात कही है उसमें कौन-कौन शामिल होगा यह भी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बता दिया है। सीजेआई ने टास्क फोर्स के सदस्यों की एक सूची तैयार की है। इसमें सर्जन वाइस एडमिरल आर. सरीन की अध्यक्षता में डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी, डॉ. एम. श्रीनिवास, डॉ. प्रतिमा मूर्ति, डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, डॉ. सौमित्र रावत, प्रोफेसर अनीता सक्सेना, हेड कार्डियोलॉजी एम्स दिल्ली, प्रोफेसर पल्लवी सप्रे, डीन ग्रांट मेडिकल कॉलेज मुंबई, डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी विभाग, एम्स को शामिल किया गया है।

इनके अतिरिक्त राष्ट्रीय टास्क फोर्स के पदेन सदस्यों में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष को बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए टॉयलेट की कोई सुविधा नहीं है, लंबी शिफ्ट के बाद डॉक्टरों को घर वापस पहुंचने के लिए कोई परिवहन नहीं है, ठीक से काम करने वाले सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। सीजेआई ने कहा कि मेडिकल पेशेवरों को अपने काम के दौरान कई बार तमाम प्रकार की हिंसा झेलनी पड़ती है। कई बार डाक्टर्स चौबीस घंटे काम करते हैं, फिर भी उन्हें सुरक्षा नहीं मिलती।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2024 में पश्चिम बंगाल में ही ड्यूटी के दौरान डॉक्टर पर हमला किया गया, जिसमें बाद में डॉक्टर की मृत्यु हो गई थी। देश के कई हिस्सों से इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। बिहार में एक नर्स को मरीज के परिजनों ने धक्का दे दिया था। इसी तरह हैदराबाद में एक और डॉक्टर पर हमला हुआ। सीजेआई ने कहा कि मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा महिला डॉक्टरों पर यौन हिंसा की भी संभावना होती है और अरुणा शानबाग का मामला इसका एक उदाहरण है। मामले की अगली सुनवाई अब 22 अगस्‍त को होगी।