नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे वसम रिजवी ने आज इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया है। इसके साथ न सिर्फ उनका धर्म परिवर्तन हो गया है बल्कि उनका नाम भी बदल दिया गया है। जी हां वसीम के तौर पर पहचान बनाने वाले रिजवी अब हरबीर नारायण सिंह त्यागी हो गए हैं। गाजियाबाद के डासना के शिव शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद गिरि महाराज रिजवी को सनातन धर्म ग्रहण करवाया है। इस पर रिजवी ने कहा कि मुझे इस्लाम धर्म से निकाल दिया गया है। अब यह मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म अपनाता हूं। मैने सनातन धर्म इसलिए अपनाया क्योंकि यह दुनिया का सबसे पहला धर्म है। जितनी अच्छाई इस धर्म में है और किसी धर्म में इतनी अच्छाई नहीं पाई जाती है। हालांकि वसीम रिजवी के इस फैसले पर कई तरह के रिएक्शन भी आ रहे हैं।
कौन हैं वसीम रिजवी
आपको बता दें कि साल 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से रिजवी अकसर चर्चा में छाए रहते हैं। देश की 9 मस्जिदों को हिंदुओं को सौंपने की पर भी रिजवी ने आवाज उठाई थी। रिजवी ने कुतुब मीनार परिसर में मौजूद मस्जिद को हिंदुस्तान की धरती पर कलंक करार दिया था। वहीं मदरसों की तलीम को आतंकवाद से जोड़ा था। रिजवी के इस बयान पर न सिर्फ मुस्लिम आवाम बल्कि उनके परिवार के लोग भी उनके खिलाफ हो गए थे। उनकी मां और भाई ने भी उनसे नाता तोड़ लिया था।
रिजवी ने की दो शादी
हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम का जन्म शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता रेलवे में कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे। लेकिन जब रिजवी छठी कक्षा में पढ़ रहे थे, तो उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद वसीम रिजवी और उनके भाई-बहनों की जिम्मेदारी उनकी मां पर ही आ गई थी। 12 कक्षा के बाद रिजवी ने खुद काम करना शुरू किया, उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। रिजवी ने दो शादियां कीं और उनकी दोनों ही शादियां लखनऊ में हुई हैं। रिवजी के तीन बच्चे हैं, और तीनों की ही शादी हो चुकी है।
रिजवी पर लगे आरोप
राजनीति में आने के बाद भला कौन भ्रष्टाचार से बच पाया है, तो वहीं वसीम रिजवी भी इस आरोप से अपना दामन नहीं बचा सके और उन पर कई तरह के आरोप लगे हैं। दरअसल साल 2010 में शिया वक्फ बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। उस समय वसीम रिजवी एक बार फिर शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष बनाए गए थे। वहीं साल 2012 में जब सत्ता परिवर्तन के साथ सपा सरकार बनी, तो दो महीने बाद ही 28 मई को वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया गया था। हालांकि उस समय वसीम रिजवी ने आजम खान से करीबी थे। जिसके चलते साल 2014 में एक बार फिर उन्हे वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया था।