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Sela Tunnel: अरुणाचल में चीन के सामने भारत ने सेला सुरंग से खड़ी की बड़ी चुनौती, जानिए इसकी खासियत

Sela Tunnel: बीआरओ ने बहुत ही अत्याधुनिक मशीनों और कटर के जरिए सेला सुरंग को बनाया है। इसकी ऊंचाई भी इतनी रखी गई है, ताकि सेना के बड़े हथियार भी आराम से तवांग और एलएसी तक पहुंच सकें। आम लोगों के लिए भी सेला सुरंग किसी वरदान से कम नहीं साबित होने जा रही है।

नई दिल्ली। आज से सेला सुरंग आवाजाही के लिए खुल रही है। सेला सुरंग को असम के तेजपुर से अरुणाचल प्रदेश के तवांग के बीच पहाड़ का सीना चीरकर तैयार किया गया है। इस सुरंग को बनाने में 825 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने सेला सुरंग को बनाने की आधारशिला साल 2019 में रखी थी।

तेजपुर और तवांग के बीच बनी सेला सुरंग 13700 फिट की ऊंचाई पर है। ये देश की सबसे ऊंची सुरंग है। इस सुरंग के बन जाने से जरूरत पड़ने पर सेना और हथियारों को तेजी से अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगे एलएसी तक पहुंचाया जा सकेगा। बीआरओ ने सेला सुरंग का निर्माण किया है। यहां दो सुरंग के अलावा एक लिंक रोड भी है। पहली सुरंग 980 मीटर लंबी है। जबकि दूसरी सुरंग 1555 मीटर की है। दोनों सुरंगों के बीच लिंक रोड 1200 मीटर लंबाई की बनाई गई है। सेला सुरंग बन जाने से हर मौसम में यातायात जारी रहेगा। साथ ही सेना के लिए ये बहुत ही रणनीतिक तौर पर मददगार साबित होगी। तवांग तक सेना और साजोसामान पहुंचाने में सेला सुरंग की वजह से किसी भी तरह की मौसम की बाधा नहीं आएगी।

सेला सुरंग के बन जाने से तेजपुर और तवांग के बीच उन इलाकों तक लोगों का भी पहुंचना आसान होगा, जहां ठंड के मौसम में बर्फबारी और बारिश के मौसम में भूस्खलन से रास्ते बंद हो जाते थे। तवांग को तेजपुर से जोड़ने वाली सेला सुरंग में सुरक्षा के भी तमाम उपाय किए गए हैं। इस सुरंग के बन जाने से चीन से लगी एलएसी की दूरी भी 10 किलोमीटर कम हो गई है। बीआरओ ने बहुत ही अत्याधुनिक मशीनों और कटर के जरिए सेला सुरंग को बनाया है। इसकी ऊंचाई भी इतनी रखी गई है, ताकि सेना के बड़े हथियार भी आराम से तवांग और एलएसी तक पहुंच सकें।