
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। पहले देश के दुर्गम राज्यों में जनगणना का काम होगा। इसके बाद देश के बाकी हिस्सों में जनगणना का काम किया जाएगा। इस बार जनगणना में लोगों की जाति भी पूछी जाएगी। पूरा डेटा ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा। खास बात ये है कि इस बार जो जनगणना कराई जा रही है, उसका असर 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। जनगणना का पूरा काम 31 मार्च 2027 तक खत्म कराने का केंद्र सरकार का इरादा है। इसके बाद जनसंख्या के हिसाब से लोकसभा सीटों की संख्या भी तय करने का काम किया जाएगा। इसके लिए अलग से आयोग बनेगा।
जनसंख्या के आधार पर ही लोकसभा और राज्यों की विधानसभा की सीटें तय होती हैं। पिछली बार साल 2011 में जनगणना कराई गई थी। तब भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। अब भारत की जनसंख्या 140 करोड़ को पार कर गई है। ऐसे में लोकसभा की सीटों की संख्या भी बढ़नी तय है। हालांकि, दक्षिण भारत के राज्यों को डर है कि उनके यहां जनसंख्या में ज्यादा बढ़ोतरी न होने के कारण लोकसभा सीटों की संख्या कम न कर दी जाए। वैसे केंद्र सरकार ने दक्षिण भारत के राज्यों को भरोसा दिया है कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा और प्रो-रेटा आधार पर उनके यहां लोकसभा सीटों की संख्या तय की जाएगी। दक्षिण भारत के राज्यों की बात करें, तो केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु को मिलाकर लोकसभा की 129 सीटें हैं। वहीं, जनसंख्या ज्यादा होने के कारण उत्तर भारत के सिर्फ दो राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार की कुल 120 लोकसभा सीटें हैं। जबकि, अभी लोकसभा में कुल 543 सीट हैं। माना जा रहा है कि जनगणना के बाद जो परिसीमन होगा, उसमें लोकसभा सीटों की संख्या 800 के करीब हो जाएंगी।
जनगणना को साल 2021 में कराया जाना था, लेकिन कोविड यानी कोरोना की महामारी के कारण जनसंख्या की गिनती नहीं कराई जा सकी। अब साल 2025 में जनगणना का काम शुरू हो रहा है, तो अगली जनगणना 2035 में होगी। इस बार जनगणना के लिए कट ऑफ डेट 1 मार्च 2027 तय की गई है। यानी 1 मार्च 2027 को भारत की जो जनसंख्या होगी, उसका ही आंकड़ा जारी किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक जनगणना के पूरे आंकड़े दिसंबर 2027 तक आएंगे। जिसके बाद लोकसभा सीटों की संख्या फिर से तय करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन होगा।