
वाराणसी/नई दिल्ली। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई सर्वे कर रहा है। आज सर्वे का छठा दिन है। इससे पहले 5 दिन तक हुए सर्वे के बाद एएसआई ने तो कुछ नहीं कहा, लेकिन रोज ब रोज हिंदू पक्ष की तरफ से तमाम लोग ये दावे करते रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद में कई जगह प्राचीन हिंदू मंदिर के चिन्ह मिले हैं। अब हिंदू पक्ष के इन दावों पर एएसआई का बयान आया है। एएसआई ने लोगों से आग्रह किया है कि वे ज्ञानवापी मस्जिद में किसी धर्म विशेष के चिन्ह मिलने संबंधी दावों या बातों पर ध्यान न दें। एएसआई की तरफ से कहा गया है कि ये दावे उसकी तरफ से अभी अधिकृत नहीं हैं।
सर्वे के पांचवें दिन एएसआई ने ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबदों की जांच की है। गहनता से मस्जिद के गुंबदों की नाप-जोख के अलावा एएसआई के पुरातत्वविदों ने उनकी संरचना और कालखंड के बारे में अंदाजा लगाने की कोशिश की। इसके साथ ही सोमवार तक ज्ञानवापी मस्जिद की पैमाइश, पश्चिम दीवार का सर्वे, हॉल का सर्वे और व्यास जी के तहखाने का सर्वे एएसआई कर चुका है। ज्ञानवापी मस्जिद में और भी तहखाने हैं और माना जा रहा है कि अब एएसआई एक-एक कर इन तहखानों को खुलवाकर वहां भी सर्वे करेगा। एएसआई ने तय किया है कि ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार से भी ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे होगा। इस रडार से जमीन के नीचे करीब 10 मीटर तक की जानकारी और तस्वीरें मिल जाती हैं।
इससे पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने उम्मीद जताई थी कि एएसआई के सर्वे से प्राचीन आदि विश्वेश्वर मंदिर होने के प्रमाण मिल जाएंगे। दरअसल, आरोप है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर साल 1669 में वाराणसी के आदि विश्वेश्वर मंदिर को गिरा दिया गया और उसके ऊपर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुगलों ने कराया। इसी की जांच एएसआई कर रहा है कि इस दावे में कितनी हकीकत है।