![Maha Kumbh 2025 At Prayagraj: जानिए प्रयागराज में होने वाले कुंभ को महाकुंभ क्यों कहा जा रहा, किस तरह अर्ध और पूर्ण कुंभ से ये है अलग?](https://hindi.newsroompost.com/wp-content/uploads/2025/01/maha-kumbh-3-jpg.webp)
प्रयागराज। यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ लगने जा रहा है। इसके लिए यूपी सरकार ने बड़े स्तर पर तैयारी की है। दर्जन भर से ज्यादा गांव की जमीन लेकर महाकुंभ मेला लगाया जा रहा है। यूपी सरकार ने महाकुंभ मेला को जिला भी घोषित किया है। यहां इस बार 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है। पर क्या आपको पता है कि आखिर प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेला को महाकुंभ क्यों कहा जा रहा है? दरअसल, कुंभ चार तरह के होते हैं। इनको अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ कहा जाता है। इस बार प्रयागराज में जो महाकुंभ हो रहा है, वैसा महाकुंभ हर 144 साल बाद होता है। इस तरह कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में सिर्फ एक ही महाकुंभ देख सकता है। महाकुंभ सिर्फ प्रयागराज में ही होता है।
वहीं, अर्धकुंभ की बात करें, तो ये हर 6 साल में लगता है। अर्धकुंभ मेला देश के दो जगह प्रयागराज और हरिद्वार में होता है। जबकि, हर 12 साल में पूर्ण कुंभ होता है। पूर्ण कुंभ प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक या उज्जैन में होता है। ज्योतिष से गणना कर पूर्ण कुंभ के स्थान का निर्धारण किया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के वक्त अमृत की बूंदें इन चार जगह गिरी थीं। इसी वजह से देश में कुंभ मेला सिर्फ इन्हीं जगहों पर लगाया जाता है। 606 से 647 ईस्वी तक महाराज हर्षवर्धन हर कुंभ मेला में आते थे और कहा जाता है कि यहां साधु-संतों को दान देने में अपना खजाना खाली कर देते थे। अब वो दौर नहीं है, लेकिन कुंभ में जो भी साधु-संत आकर शिविर लगाते हैं, उनको श्रद्धालु दान देते हैं। साथ ही संतों के अखाड़ों की तरफ से कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के भोजन और रहने की व्यवस्था भी की जाती है।
इस बार प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर 13 जनवरी को पहला स्नान पर्व है। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर बड़ा स्नान पर्व होगा। जिसमें अखाड़े और श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। फिर 29 जनवरी को मौनी अमावस्या का स्नान होना है। बसंत पंचमी के अवसर पर 3 फरवरी को भी अहम स्नान पर्व है। महाकुंभ में 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर अगला बड़ा स्नान पर्व होगा। वहीं, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पर्व पर प्रयागराज महाकुंभ में अंतिम स्नान पर्व है। कुंभ चाहे अर्ध हो, पूर्ण हो या महा इन सभी में स्नान पर्वों को शाही स्नान कहा जाता है। क्योंकि इनमें नागा साधु और अखाड़ों से जुड़े संत हिस्सा लेते हैं। मान्यता है कि प्रमुख स्नान पर्वों पर आकाश से अमृत की बूंदें कुंभ क्षेत्र पर गिरती हैं। जो व्यक्ति के पापों का मोचन यानी नाश करती हैं।