नई दिल्ली। जल्दी ही ईद-उल-फित्र का त्योहार आने वाला है। मुस्लिम समुदाय के लिए ईद का त्योहार काफी बड़ा होता है। ईद के दिन इस्लाम को मानने वाले सुबह मस्जिदों में जाकर नमाज अदा करते हैं। ईद के लिए तैयारियां भी जमकर हो रही हैं। शहरों से लेकर कस्बों और गांवों तक मुस्लिम समुदाय के लोग ईद के लिए खरीदारी कर रहे हैं।
#WATCH महाराष्ट्र: ईद-उल-फितर से पहले मुंबई के मोहम्मद अली रोड स्थित बाजार में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। pic.twitter.com/ou9C68HkZF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 7, 2024
#WATCH उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में ईद-उल-फितर से पहले खरीदारी के लिए बाजार में बड़ी संख्या में लोग दिखे। (07.04) pic.twitter.com/bQjNlNM5pe
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ईद का त्योहार आखिर किस वजह से मनाया जाता है, ये कम ही लोगों को पता होगा। माना जाता है कि ईद-उल-फित्र का त्योहार सबसे पहले 624 ईस्वी में मनाया गया था। इस्लाम के जानकारों के मुताबिक इस्लाम के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद ने बद्र के युद्ध में जीत हासिल की थी। पैगंबर मोहम्मद की इस जीत के बाद से ही खुशी में ईद का त्योहार मनाया जाता है। ईद के त्योहार से पहले इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग 30 दिन का रोजा रखते हैं। रोजे की शुरुआत चांद देखकर होती है और शव्वाल महीने का चांद देखने के अगले दिन दुनियाभर में मुस्लिम ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाते हैं।
इस बार ईद का त्योहार 11 अप्रैल को होने जा रहा है। यानी 10 अप्रैल को अगर शव्वाल का चांद दिख गया, तो उसके अगले दिन ईद होगी। शव्वाल का चांद दिखने पर ही रमजान का पवित्र महीना खत्म हो जाता है। ईद-उल-फित्र और इससे पहले रमजान के दौरान मुस्लिम समुदाय दान भी करता है। इसे जकात कहते हैं। जकात करना इस्लाम में बहुत नेक का काम बताया गया है। जकात के जरिए मुस्लिम समुदाय गरीबों की मदद करने का काम करता है।