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Lord Jagannath Rath Yatra: भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए पुरी में लाखों की तादाद में भक्त जुटे, जानिए हिंदुओं के लिए कितना महत्वपूर्ण है ये पर्व

Lord Jagannath Rath Yatra: हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को होती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ पर बिठाकर मौसी के घर यानी गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। जहां वे कुछ दिन तक रहते हैं।

पुरी। 7 जुलाई यानी रविवार को पुरी समेत देश-विदेश के तमाम शहरों में महाप्रभु भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होने जा रही है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का सबसे भव्य आयोजन ओडिशा के पुरी में होता है। दिल्ली, कोलकाता अहमदाबाद समेत देश के अन्य शहरों में भी भक्त भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालेंगे। अमेरिका समेत कई देशों में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की तैयारी हो रही है।

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को होती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ पर बिठाकर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। कहा जाता है कि एक बार देवी सुभद्रा ने पुरी नगर देखने की इच्छा जताई। इस पर भगवान जगन्नाथ उनको रथ पर बिठाकर शहर दिखाने ले गए थे। भगवान जगन्नाथ के बारे में भक्तों का मानना है कि वो कलियुग में भगवान विष्णु के अवतार हैं। जगन्नाथ का अर्थ ब्रह्मांड का स्वामी होता है। हिंदुओं के लिए चार पवित्र धामों में पुरी का जगन्नाथ धाम भी है। भगवान जगन्नाथ को महाप्रभु भी कहा जाता है। उनके रथ को खींचने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पुरी पहुंच रहे हैं।

पुराणों में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का वर्णन है। स्कंद पुराण के अनुसार रथयात्रा में शामिल होकर जो भी भगवान जगन्नाथ का नाम लेते हुए गुंडीचा तक जाता है, वो फिर से जन्म के बंधन से मुक्त होता है। भगवान जगन्नाथ का कीर्तन करते हुए रथयात्रा में भाग लेने वालों के लिए कहा गया है कि उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा संतान से जुड़ी सभी समस्या भी दूर होने की मान्यता बताई गई है। इस बार रथयात्रा समारोह 16 जुलाई को समाप्त होगा। उस तारीख को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडीचा मंदिर यानी अपनी मौसी के घर से खुद के मंदिर लौटेंगे।