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Good Job: महाराष्ट्र के एक गांव का शानदार फैसला, पति के निधन पर भी महिलाओं को नहीं हटाना होगा सिंदूर-मंगलसूत्र

सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने बताया कि महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद जिंजादे ने इसकी पहल की थी। पाटिल के मुताबिक महिलाओं को इस तरह की प्रथाओं से गुजरना होता है और ये उनके लिए अपमानजनक है।

कोल्हापुर। किसी स्त्री के पति का निधन उसके लिए सबसे बड़ा सदमा होता है। इसके बाद मांग से सिंदूर पोछना और मंगलसूत्र उतार देने की प्रथा उसपर और भारी पड़ती है, लेकिन महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के एक गांव ने इस प्रथा को बदलने का फैसला किया है। शिरोल तहसील के गांव हेरवाड़ में पंचायत ने तय किया है कि किसी स्त्री के पति के निधन के बाद उन्हें न तो मांग से सिंदूर पोछना होगा और न ही मंगलसूत्र हटाना होगा। गांव के महिला स्वयं सहायता समूह ने भी महाराष्ट्र के मंत्री राजेंद्र यद्राकर को गांव की विधवा महिलाओं की तरफ से ज्ञापन सौंपा है। इसमें विधवाओं के लिए प्रथाओं पर रोक लगाने की मांग की गई है।

mangal sutra

बीती 4 मई को इस बारे में गांव की पंचायत ने फैसला किया। सरपंच सुरगोंडा पाटिल ने बताया कि महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद जिंजादे ने इसकी पहल की थी। पाटिल के मुताबिक महिलाओं को इस तरह की प्रथाओं से गुजरना होता है और ये उनके लिए अपमानजनक है। सरपंच ने कहा कि महिलाओं के बारे में फैसला लेकर गांव के लोगों को गर्व है। खासकर छत्रपति साहूजी महाराज की 100वीं पुण्यतिथि के मौके पर महिलाओं के उद्धार के लिए किया गया ये काम खास है। उन्होंने कहा कि एक सहयोगी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी पत्नी की चूड़ियां तोड़ी गईं। मांग से सिंदूर पोछा गया और मंगलसूत्र उतारा गया। इससे महिला का दुख और बढ़ गया।

panchayat file photo

सरपंच ने बताया कि प्रथा को खत्म करने के लिए प्रेरित करने वाले जिंजादे ने अपनी वसीयत में लिखा है कि उनके निधन के बाद पत्नी को इस तरह की प्रथा मानने के लिए मजबूर न किया जाए। पाटिल ने कहा कि गांव की पंचायत ने पहले से ही महिला और बच्चों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। कोविड में जान गंवाने वाले लोगों के बच्चों को शिक्षा के लिए 5000 रुपए दिए जा रहे हैं।