
नई दिल्ली। कविराज कुमार विश्वास किसी ना किसी मसले पर दिए जाने वाले अपनी बेबाक राय की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। कवि अंदाज में जिस तरह वे खुलकर अपनी दिल की आरजू जाहिर करते हैं, उसकी वजह से कई बार उन्हें आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ता है, लेकिन इन सबके परवाह किए बगैर वो खुलकर अपनी राय सार्वजनिक करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। इसी बीच उन्होंने राजस्थान में कवि सम्मेलन के दौरान राहुल गांधी की संसद सदस्यता छीने जाने के प्रसंग को भगवान राम से जोड़कर कांग्रेस नेता के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे न्यायोचित ठहराया। आइए, आगे जानते हैं कि कुमार विश्वास ने राहुल प्रकरण पर क्या कुछ कहा है।
दरअसल, कुमार विश्वास ने राहुल गांधी का जिक्र कर कहा कि संसद सदस्यता जाने से कुछ नहीं होता है। कविराज ने भगवान राम का जिक्र कर कहा कि घर से निकाले हुए लोगों ने ही बड़ी-बड़ी क्रांतियां की हैं। अगर भगवान राम महलों में रह जाते तो राजकुमार ही कहलाते, लेकिन उन्होंने महलों का त्याग कर वनों में विचरण किया, जिसने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाया। उन्हें पूजनीय बनाया। वहीं, इस खास मौके पर कुमार विश्वास ने कहा कि मुस्लिम सभापति जीवन खान ने गदा और धनूष का निर्माण करवाया है। इस बीच उन्होंने राजस्थान के नाम पर तारीफ में कसीदे पढ़े। आइए, जानते हैं कि उन्होंने राजस्थान के संदर्भ में क्या कुछ कहा है।
कविराज ने कहा कि जब कभी-भी देश में संकट आता है, तो सबसे पहला शीश राजस्थान की तरफ से ही चढ़ाया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इस मिट्टी का आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि मैं यहां आकर रोमांचित महसूस करता है। उन्होंने कहा कि सीकर के लोग जात-पात भूलकर रामायण में हिस्सा लेते हैं, जो कि उन्हें तारीफ के पात्र बनाता है। बता दें कि कविराज के इस बयान का वीडियो भी प्रकाश में आया है, जिसके अभी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। ध्यान रहे कि इससे पूर्व उन्होंने उन्होंने दक्षिणपंथी और वामपंथियों को लेकर भी विवादास्पद बयान दे दिया था, जिसके बाद उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी।
बता दें कि गत लोकसभा चुनाव में मोदी समदाय पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में उन्हें गुजरात की निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें ऊपरी अदालत में इस फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय दिया गया, लेकिन इस बीच लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता रद कर दी गई, जिसके बाद अब वो आगामी 6 वर्षों तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। विदित हो कि कांग्रेस नेता के खिलाफ यह कार्रवाई जनप्रनिधित्व कानून के तहत की गई है। हालांकि, अब इस कानून को भी अदालत में चुनौती दी गई है। उधर, राहुल के इस फैसले को चुनौती देने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प है। ऐसे में कांग्रेस नेता अपने सियासी अस्तित्व को बचाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।