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Weather Report: गर्मी और बढ़ेगी या बदलेगा मौसम?, जानिए वैज्ञानिकों ने क्या भविष्यवाणी की है

Weather Report: इस साल ठंड के सीजन में अब तक कुछ ही दिन कंपाने वाली सर्दी देखी गई। जबकि, मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि इस साल औसत से ज्यादा ठंड का सामना करना पड़ेगा। कई पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय हुए, लेकिन मैदानी इलाकों के राज्यों पर इन विक्षोभों का असर कम ही देखा गया। फरवरी में बारिश भी औसत से कम हुई है। इससे रबी की फसल पर भी काफी असर पड़ सकता है। माना जा रहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग ही मौसम में हुए इस बदलाव के लिए जिम्मेदार है।

नई दिल्ली। फरवरी के महीने में ही लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्र ने बताया था कि फरवरी के आखिर तक गर्मी और बढ़ेगी। अब मौसम विभाग का कहना है कि एक बार फिर मौसम करवट बदलने जा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में ठंड लौटने वाली है। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि दिल्ली और आसपास के राज्यों में बारिश होगी। इससे तापमान गिरेगा। मौसम विभाग के अनुसार बांग्लादेश और आसपास चक्रवात बना है। इससे असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा में भी बारिश होगी।

मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में ताजा बर्फबारी हुई है। अभी इन तीनों राज्यों में और बर्फबारी हो सकती है। तीनों पहाड़ी राज्यों में कई जगह बारिश का भी अनुमान मौसम विभाग ने जताया है। यूपी और बिहार में मौसम के करवट लेने की बात भी विभाग के वैज्ञानिकों ने कही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि राजस्थान में कई जगह बारिश हो सकती है। राज्य में न्यूनतम तापमान भी और 2 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। पश्चिम बंगाल, झारखंड, यूपी और बिहार में कई जगह कोहरा छाए रहने की भविष्यवाणी भी मौसम विभाग ने की है।

इस साल ठंड के सीजन में अब तक कुछ ही दिन कंपाने वाली सर्दी देखी गई। जबकि, मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि इस साल औसत से ज्यादा ठंड का सामना करना पड़ेगा। कई पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय हुए, लेकिन मैदानी इलाकों के राज्यों पर इन विक्षोभों का असर कम ही देखा गया। फरवरी में बारिश भी औसत से कम हुई है। इससे रबी की फसल पर भी काफी असर पड़ सकता है। माना जा रहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग ही मौसम में हुए इस बदलाव के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, ला नीना प्रभाव के कारण बीते साल बारिश भी औसत से ज्यादा हुई थी।