
नई दिल्ली। कांग्रेस समेत विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार के दौर में जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी पर खतरा मंडरा रहा है। गौतम अडानी की कंपनियों का शेयर खरीदने और हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद उनके भाव गिरने के कारण विपक्षी दलों ने एलआईसी के बारे में हाय-तौबा मचाई थी। उसी एलआईसी ने एक बार फिर सरकार के खजाने को भरा है। डिविडेंड के तौर पर एलआईसी ने केंद्र सरकार को 3662 करोड़ रुपए दिए हैं। एलआईसी ने पिछले साल के लिए ये डिविडेंड केंद्र सरकार को दिया है। एलआईसी की एजीएम 22 अगस्त को हुई थी। जिसमें केंद्र सरकार को डिविडेंड देने का फैसला हुआ था।
इससे पहले 1 मार्च 2024 को एलआईसी ने केंद् सरकार को अंतरिम डिविडेंड के तौर पर 2441.45 करोड़ रुपए दिए थे। इस तरह वित्तीय वर्ष 2023 के लिए एलआईसी ने केंद्र सरकार को 6100 करोड़ से ज्यादा का डिविडेंड दिया है। वहीं, अपने हर शेयर पर 6 रुपए का अंतिम लाभांश भी देने का फैसला एलआईसी की एजीएम में हुआ था। एलआईसी में केंद्र सरकार के सबसे ज्यादा शेयर हैं। केंद्र सरकार के पास एलआईसी के 610.36 करोड़ शेयर हैं। इस तरह कुल 632.49 करोड़ के फुली पेड अप शेयर के हिसाब से एलआईसी में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 96 फीसदी से ज्यादा है। सिर्फ 3.50 फीसदी शेयर ही निजी हाथ में हैं।
पिछले साल हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद जब अडानी ग्रुप के शेयर के भाव गिरे, तो एलआईसी को कुछ नुकसान हुआ, लेकिन फिर उसने फायदा भी हासिल किया था। एलआईसी के खुद के शेयर की बात करें, तो उसके एक शेयर की कीमत 1000 रुपए से ज्यादा है। जब 2022 में एलआईसी का आईपीओ आया थआ, उस वक्त शेयर का प्राइस बैंड 902 से 949 रुपए रखा गया था। एलआईसी के शेयर का भाव कई बार गिरा भी, लेकिन अब ये काफी ऊपर है और निवेशकों की पसंद भी बना हुआ है।