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Varanasi: आज काशी विश्वनाथ धाम में फिर से विराजेंगी मां अन्नपूर्णा, 100 साल पहले चोरी हुई थी मूर्ति

मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को आज काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में स्थापित किया जाएगा। हालांकि, उनके लिए मंदिर परिसर के ईशान कोण में अलग से मंदिर बनवाया जा रहा है। यह मंदिर रानी भवानी उत्तरी गेट के पास बन रहा है। यह मूर्ति 1913 के आसपास चोरी की गई थी।

वाराणसी। आज देवउठनी एकादशी है। मान्यता है कि भगवान विष्णु 6 महीने की नींद पूरी कर आज ही जागृत होते हैं। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आज एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होने जा रहा है। आज यहां काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा को फिर से स्थापित किया जाएगा। करीब 100 साल पहले यह प्रतिमा वाराणसी से ही चोरी हुई थी। जिसे कनाडा ले जाया गया था। साल 2019 में एक भारतीय की नजर कनाडा के म्यूजियम में रखी इस प्रतिमा पर पड़ी। जिसके बाद पीएम मोदी ने कनाडा की सरकार के साथ बातचीत में मुद्दा उठाया। इसके बाद कनाडा सरकार ने मां अन्नपूर्णा की मूर्ति वापस कर दी। जिसे बीते दिनों दिल्ली लाया गया था और उसके बाद धूमधाम से सड़क मार्ग के जरिए वाराणसी लाया गया है। आज मां अन्नपूर्णा के फिर से प्रतिस्थापना के अवसर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य नेता काशी विश्वनाथ मंदिर में मौजूद रहेंगे। सुबह करीब 10 बजे मूर्ति स्थापना का समय निर्धारित किया गया है। वाराणसी प्रशासन ने मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की स्थापना के लिए पूरी तैयारी की है। देवउठनी एकादशी की उदया तिथि को इसके लिए तय किया गया था। मूर्ति स्थापना के बाद सीएम योगी वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शहर के प्रबुद्ध लोगों को संबोधित भी करेंगे। वह इस दौरान कनाडा से मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को लाने के पीएम मोदी की कोशिशों के बारे में भी बताएंगे।

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मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को आज काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में स्थापित किया जाएगा। हालांकि, उनके लिए मंदिर परिसर के ईशान कोण में अलग से मंदिर बनवाया जा रहा है। यह मंदिर रानी भवानी उत्तरी गेट के पास बन रहा है। यह मूर्ति 1913 के आसपास चोरी की गई थी। तभी से उसका कोई पता नहीं चल रहा था। पुलिस भी इस मामले में थक-हारकर बैठ गई थी। 18वीं सदी में बनारस शैली में तैयार ये मूर्ति बाद में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना में मिली। वहां की मैकेंजी आर्ट गैलरी में इसे रखा गया था। भारत की मूर्ति कला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा ने एक प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर वहां इसे देखा था।

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मां अन्नपूर्णा की ये मूर्ति चुनार के बलुआ पत्थर से बनी है। मूर्ति करीब 17 सेंटीमीटर लंबी और 9 सेंटीमीटर चौड़ी है। लंबे कालखंड के कारण मूर्ति काफी हद तक अपना पुराना स्वरूप खो चुकी है, लेकिन फिर भी इसमें एक हाथ में खीर का पात्र और दूसरे हाथ में उसे देने के लिए चम्मच लिए मां को देखा जा सकता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक मां अन्नपूर्णा पार्वती का ही एक रूप हैं। वह भक्तों को सुख, खुशहाली देती हैं। वाराणसी में मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा के मंदिर में आया कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता।