
भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महिला को उमरिया और उसके अन्य पड़ोसी जिलों की सीमा में एक साल तक प्रवेश पर रोकने वाले कलेक्टर के आदेश को रद्द कर दिया है। मुन्नी उर्फ माधुरी तिवारी बनाम राज्य सरकार व अन्य के मुकदमे में हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने महिला को एक साल तक जिलाबदर किए जाने के आदेश को रहस्यमय बताया और कहा कि लगता है कि ये आदेश कानून की जरूरतों को पूरा करने की जगह अन्य मजबूरियों के कारण दिया गया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया। ये जुर्माना उमरिया के कलेक्टर को भरना होगा।

जस्टिस विवेक अग्रवाल ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये ताकतवर राज्य की ओर से व्यक्ति की आजादी को सीमित करने की कोशिश लगती है। कोर्ट ने कहा कि साफ है कि उमरिया के कलेक्टर ने मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा कानून 1990 की धारा 5(बी) में दिए प्रावधान के उलट जाकर आदेश दिया। जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि ऐसा लगता है कि निष्कासन का आदेश कानून की आवश्यकताओं के अलावा सिर्फ कुछ अन्य बाध्यताओं पर जारी किया गया है। कोर्ट ने कहा कि मदन लाल मरावी मामले में बिल्कुल स्पष्ट है। यह कानून की धारा 5(ए) और 5(बी) की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी भी सामग्री के अस्तित्व पर विश्वास नहीं दिलाता है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इसके अलावा कहा कि उमरिया के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से 21.10.2024 को पारित आदेश (अनुलग्नक पी-4) और संभागीय आयुक्त, शहडोल संभाग, शहडोल की ओर से पारित दिनांक 20.01.2025 (अनुलग्नक पी-9) के आदेश रहस्यमय और मनमाने हैं। इसलिए इन्हें रद्द किया जाता है। राज्य इस मुकदमे की लागत वहन करेगा। जिसकी राशि 25 हजार रुपए है। सात दिन में ये राशि याचिका करने वाली महिला को देने का आदेश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने दिया। याचिकाकर्ता महिला ने कलेक्टर के आदेश के बाद हाईकोर्ट का रुख किया था। उमरिया के कलेक्टर के जिलाबदर करने के आदेश की पुष्टि संभागीय आयुक्त ने की थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सिर्फ 6 मामलों की सूची लंबित दिखाई गई है। जिनमें से 2 मामले धारा 110 (आदतन अपराधियों से अच्छे व्यवहार के लिए सुरक्षा), 2 मामले धारा 294 (अश्लील कृत्य और गीत), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), 34 (सामान्य इरादा) और 2 अन्य मामले एनडीपीएस एक्ट के प्रावधान के तहत हैं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से याचिकाकर्ता महिला ने कहा कि उसे किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता की आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 5(ए) और 5(बी) पर विचार करने के बाद जिलाबदर करने का आदेश दिया था।