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MP High Court On WhatsApp Chat: स्पाई एप से वाट्सएप चैट हासिल कर तलाक के मामले में सबूत के तौर पर दे सकते हैं, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला

MP High Court On WhatsApp Chat: इन वाट्सएप चैट में कथित तौर पर महिला के विवाहेत्तर संबंधों का खुलासा हुआ। जिसकी वजह से उसके पति ने क्रूरता और व्यभिचार के आधार पर तलाक का केस दाखिल किया। इस पर पत्नी के वकील ने आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि वाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर पेश करना संविधान के अनुच्छेद 21 और आईटी एक्ट 2000 की धारा 43, 66 और 72 के तहत निजता के अधिकार का हनन है।

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अहम फैसले में कहा है कि तलाक के मामले में पति अपनी पत्नी के निजी वाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर पेश कर सकता है। भले ही वाट्सएप चैट पत्नी की मंजूरी के बिना हासिल किए गए हों। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट एक्ट  1984 की धारा 14 के आधार पर ये फैसला तलाक जैसे विवादों को सुलझाने के लिए ऐसे सबूतों पर विचार करने की अनुमति देता है, जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत स्वीकार्य नहीं हो सकते। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सामने ये मामला उस वक्त आया जब एक शख्स ने अपनी पत्नी की जानकारी के बिना स्पाई एप के जरिए उसके फोन से व्हाट्सएप चैट को एक्सेस किया।

इन वाट्सएप चैट में कथित तौर पर महिला के विवाहेत्तर संबंधों का खुलासा हुआ। जिसकी वजह से उसके पति ने क्रूरता और व्यभिचार के आधार पर तलाक का केस दाखिल किया। इस पर पत्नी के वकील ने आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि वाट्सएप चैट को सबूत के तौर पर पेश करना संविधान के अनुच्छेद 21 और आईटी एक्ट 2000 की धारा 43, 66 और 72 के तहत निजता के अधिकार का हनन है। महिला के वकील ने ये तर्क भी दिया कि अवैध तौर पर हासिल सबूत माने नहीं जाने चाहिए। उनके इन तर्कों को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नहीं माना और कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक भले हो, लेकिन निरपेक्ष नहीं। साथ ही ये सीमाओं के तहत आता है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शारदा और पुट्टस्वामी मामलों समेत सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि फैमिली कोर्ट एक्ट की धारा 14 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 जैसे प्रावधान न्याय के हित में गोपनीयता के सीमित उल्लंघन की मंजूरी देते हैं।

कोर्ट ने इस मुद्दे को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दो मौलिक अधिकारों के बीच टकराव के रूप में देखा। जो पत्नी के गोपनीयता के अधिकार और पति के निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार हैं। कोर्ट ने फैसले में कहा कि गोपनीयता का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के आगे कम है। जिसका सार्वजनिक न्याय के लिए व्यापक निहितार्थ है। कोर्ट ने कहा कि केस करने वाले को प्रासंगिक सबूत पेश करने का अधिकार है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ये भी साफ किया कि वह वाट्सएप चैट की प्रामाणिकता पर वो फैसला नहीं दे रहा है। हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को फैमिली कोर्ट पर छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर वाट्सएप चैट को वास्तविक माना जाता है, तो वो क्रूरता और व्यभिचार के आधार पर तलाक के लिए पति के मामले का समर्थन कर सकता है।